अमृतसर, 15 अप्रैल ( ) – अपने अच्छे भविष्य के लिए खाड़ी मुल्कों में मेहनत मज़दूरी करने गए लोगों की हर मुश्किल घड़ी में मदद करने वाले दुबई के प्रसिद्ध कारोबारी और सरबत का भला चैरिटेबल ट्रस्ट के सरप्रस्त डा.एस.पी.सिंह ओबराए के प्रयासों सदका आज जालंधर जिले की फ्लोर तहसील के गांव कतपालों के साथ सबंधित 40 वर्षीय जगतार सिंह पुत्र मोहन सिंह का पार्थिव शव दुबई से श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर में पहुंचा।

इस सम्बन्धित जानकारी सांझी करते डा.एस.पी.सिंह ओबराए ने बताया कि जगतार सिंह भी दूसरे युवाओं की तरह अपने परिवार के आर्थिक हालात सुधारने के लिए करीब ढाई महीने पहले दुबई आया था। परिवार से मिली जानकारी अनुसार जगतार को भेजने वाले एजेंट ने धोखा करते उसे कंपनी का वीज़ा कह कर विज़टर वीजा पर ही दुबई भेज दिया था। दुबई जाकर कोई कामकाज न मिलने कारण उसे दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। उन्होंने बताया कि जगतार के पास कोई कामकाज न होने साथ-साथ अपना विज़टर वीज़ा भी ख़त्म होने के कारण बहुत परेशान था और इसी परेशानी के चलते उस ने गत 5 मार्च को अपने हाथों मौत को गले लगा लिया था। उन्होंने बताया कि दुबई पुलिस ने भारतीय दूतावास के द्वारा उन के साथ संपर्क करके उक्त नौजवान की पिछले डेढ़ महीनो से लावारिस पड़े पार्थिव शव को उस के परिजनों को जानकार करवाने के लिए कहा था। जिस उपरांत सारी जानकारी लेकर उन्होंने ट्रस्ट की दोआबा टीम के इंचार्ज अमरजोत सिंह ने पीड़ित परिवार को इस अनहोनी से जानकार करवाया था। परिवार के साथ सबंध होने पर उन्होंने भारतीय दूतावास के बड़े सहयोग और अपने निजी सचिव बलदीप सिंह चाहल की देख-रेख में तुरंत सारी कागज़ी कार्रवाई मुकम्मल करवा कर आज जगतार सिंह का पार्थिव शव भारत भेजा है।

उन्होंने बताया कि उन्होंने फ़ैसला किया है कि जगतार के परिवार को गुज़ारे के लिए ट्रस्ट की तरफ से तीन हज़ार रुपए महीनावार पैंशन दी जायेगी।

पीड़ित परिवारों के साथ हवाई अड्डे पर शोक व्यक्त करने पहुंची ट्रस्ट की अमृतसर टीम ने बताया कि डा. ओबराए के प्रयासों सदका अब तक 302 बदनसीब लोगों के पार्थिव शव उन के परिजनों तक पहुंचाए जा चुके हैं।

इस दौरान हवाई अड्डे पर मृतक के भाई परविन्दर सिंह, धरमिन्दर सिंह, रमनदीप सिंह और चाचा गुरमेज सिंह और सोढ़ी सिंह ने डा.एस.पी.सिंह ओबराए का इस बड़े प्रयास के लिए तह दिल से शुकराना करते हुए कहा कि उन की बदौलत से ही उन के परिवार को जगतार सिंह के अंतिम दर्शन नसीब हो सके हैं।

 

 

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