नीमा वूमेन फोरम की पंजाब शाखा द्वारा एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन स्थानीय होटल में डॉ. वीना गूम्बर की अध्यक्षता में वरदान आईवीएफ सेंटर के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर देशभर से आई महिला चिकित्सकों ने भाग लिया। हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित पंजाब के 15 शहरों की शाखाओं ने इसमें सक्रिय भागीदारी की।

मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब आयुर्वेद रजिस्ट्रार श्री संजीव गोयल और श्री रविदास आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. संजीव सूद उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान धन्वंतरि पूजन से हुई, जिसके उपरांत डॉ. रीना कक्कड़ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. साधना कुलकर्णी और वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वैशाली पड़घन भी विशेष रूप से मौजूद रहीं।

नीमा के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब अध्यक्ष डॉ. परविंदर बजाज ने कहा कि किसी भी संस्था को आगे बढ़ाने के लिए फंड उसकी रीढ़ की हड्डी होते हैं और उसी फंड को एकत्रित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया
वहीं, संयुक्त सचिव डॉ. अनिल नागरथ ने नीमा की कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी दी।

कार्यक्रम के दौरान हाल ही में आयोजित “सरवाइकल कैंसर जागरूकता थीम” पर आधारित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में फरीदकोट ने प्रथम, नवांशहर ने द्वितीय और पटियाला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। साथ ही हरियाली तीज के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ जिसमें गीत, संगीत और नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

वरदान अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों – डॉ. अंबिका अग्रवाल, डॉ. नवीन पंचाल और डॉ. मीनाक्षी – ने बांझपन और PID जैसे विषयों पर जानकारी दी और प्रश्नोत्तरी सत्र में भाग लिया। डॉ. वीना गूम्बर ने MBS स्कीम पर प्रकाश डाला और उसकी उपयोगिता समझाई।

कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. वनीता गोस्वामी, डॉ. सुखदीप और डॉ. सुप्रिया क्वात्रा ने किया जबकि कोषाध्यक्ष डॉ. सीमा अरोड़ा ने अपनी टीम के साथ समस्त व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संभाला।

इस मौके पर देशभर से आईं डॉ. मधु जोशी, डॉ. रगिनी ,डॉ. पूजा, डॉ. रीमा, डॉ. मीनू कोचर, डॉ. सोनिया, डॉ. जसलीन सेठी, डॉ. सुनीता नागरथ, डॉ. अनुपमा सूद, डॉ. रश्मि, डॉ. रीटा, डॉ. डॉली, डॉ. शिवानी, डॉ. नीलू, डॉ. निहारिका, डॉ. रीया भारद्वाज, डॉ. परमिंदर, डॉ. सविता, डॉ. हर्षप्रीत, डॉ. मीनल, डॉ. कोमल, डॉ. अनुपमा, डॉ. डिफ्रेम तथा चंडीगढ़ से डॉ. मीनू गांधी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहीं।

यह संगोष्ठी न केवल चिकित्सकीय ज्ञानवर्धन का माध्यम बनी बल्कि महिला चिकित्सकों के आपसी सहयोग, संवाद और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई।

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