चंडीगढ़, 12 मई:

पंजाब सरकार ने हरियाणा को पानी छोड़ने संबंधी 6 मई के आदेशों को चुनौती देते हुए अदालत में एक समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें इस आदेश को गलत और माननीय अदालत के समक्ष पेश की गई भ्रामक जानकारी पर आधारित बताया गया है।

अधिक जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब सरकार ने याचिका में बताया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर पंजाब के पानी को गैर-कानूनी तौर पर हरियाणा की ओर भेजने की कोशिश कर रहा है। पंजाब सरकार ने प्रक्रिया संबंधी अनियमितताओं और तथ्यों की गलत प्रस्तुति पर गंभीर चिंताएं जाहिर कीं जो इस विवादास्पद हुक्म को जारी करने का कारण बनीं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2 मई की मीटिंग को औपचारिक तौर पर फैसला लेने वाले मंच के रूप में गलत ढंग से पेश करके अदालत को गुमराह करने की कोशिश की गई थी। पंजाब सरकार ने बताया कि राज्य के अधिकारियों को मीटिंग संबंधी कोई भी औपचारिक मिनट प्रदान नहीं किया गया। सिर्फ एक प्रेस नोट भेजा गया, जिसे मीटिंग में लिए गए फैसलों का आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं माना जा सकता।

राज्य सरकार ने सवाल किया कि जब पहले कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया था तो आदेश कैसे लागू किया जा सकता है? राज्य सरकार ने कहा कि बी.बी.एम.बी. ने अपेक्षित कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना हरियाणा को पानी छोड़ने की कोशिश करके अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है।
पंजाब सरकार ने इस बात को उजागर किया कि केंद्र सरकार भी अदालत के निर्देशों पर 2 मई की मीटिंग के आधिकारिक मिनट पेश करने में असफल रही, इसकी बजाय उन्होंने सिर्फ “डिस्कशन रिकॉर्ड” पेश किया।
पंजाब द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका में 6 मई, 2025 के अदालती हुक्मों जिसमें 2 मई, 2025 की मीटिंग के दौरान लिए गए फैसलों के अनुपालन का निर्देश दिया गया था, पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है। पंजाब सरकार ने तर्क दिया है कि उक्त आदेश गैर-कानूनी है क्योंकि अदालत को गुमराह किया गया था कि केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई मीटिंग 1974 रूल्स के नियम 7 के अधीन की गई थी, जिसके लिए चेयरमैन द्वारा हवाला देने की जरूरत होती है।
हालांकि, माननीय अदालत को यह नहीं बताया गया कि उक्त मीटिंग अतिरिक्त पानी के बंटवारे के विवाद संबंधी सिर्फ एक गैर-औपचारिक मीटिंग थी।

याचिका में आगे कहा गया है कि 2 मई, 2025 की मीटिंग संबंधी कोई औपचारिक मिनट कभी भी दर्ज नहीं किए गए। अदालत के सामने सिर्फ एक प्रेस नोट पेश किया गया था, जिसने भ्रामक जानकारी पेश की और जिसके चलते अदालत द्वारा आदेश जारी किया गया।

6 मई, 2025 के अदालती हुक्म के अनुपालन के लिए, पंजाब सरकार ने 8 मई, 2025 को ईमेल के माध्यम से मीटिंग के मिनट मांगे। हालांकि, जवाब में सिर्फ एक प्रेस नोट दिया गया, जिसमें पुष्टि की गई थी कि कोई औपचारिक मिनट दर्ज नहीं किए गए थे, एक तथ्य जिसे 8 मई, 2025 को ग्राम पंचायत द्वारा दायर की गई कंटेम्प्ट एप्लीकेशन में सुनवाई के दौरान स्वीकार किया गया था।

यह भी बताया गया कि बी.बी.एम.बी. ने भी 2 मई, 2025 के फैसले की कॉपी की मांग की थी, लेकिन ऐसा कोई दस्तावेज प्रदान नहीं किया गया। उचित अधिकार न होने के बावजूद, बी.बी.एम.बी. ने कानूनी अधिकार के बिना हरियाणा राज्य को पानी छोड़ना जारी रखा।

माननीय अदालत ने भारत संघ के वकील को 2 मई, 2025 की मीटिंग के मिनट पेश करने और अदालत को नियम 7 के तहत ऐसे हवालों पर फैसला लेने के लिए अधिकृत सक्षम अथॉरिटी के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया। इसके जवाब में, भारत संघ मीटिंग के मिनट पेश नहीं कर सका, इसकी बजाय उन्होंने “डिस्कशन रिकॉर्ड” पेश किया। उन्होंने यह भी बताया कि नियम 7 के तहत सचिव बिजली सक्षम अथॉरिटी है। इस तरह, सक्षम अथॉरिटी द्वारा कोई भी लागू करने योग्य फैसला जारी नहीं किया गया है।
इसके अलावा, हरियाणा ने 29 अप्रैल, 2025 को बी.बी.एम.बी. को अनुरोध किया था कि वह नियम 7 के तहत मामले को सक्षम अथॉरिटी के पास भेजें और यह अनुरोध बी.बी.एम.बी. चेयरमैन द्वारा सक्षम अथॉरिटी को भेज दिया गया था। सक्षम अथॉरिटी द्वारा कोई फैसला नहीं दिया गया और हरियाणा को गैर-कानूनी तौर पर मदद करने के लिए अथॉरिटी के फैसले का इंतजार किए बिना, बी.बी.एम.बी. द्वारा खुद 3 मई, 2025 को एक फैसला लिया गया।

पंजाब सरकार द्वारा अदालत को इन गंभीर प्रक्रियात्मक उल्लंघनों और गलत प्रस्तुति के मद्देनजर अपने आदेशों की समीक्षा करने की मांग की है।

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