जालंधर: जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने फंड तो दिया लेकिन जालंधर के हालात देखकर जनता के मन में यह सवाल हमेशा से उठते रहे हैं कि आखिर उस फंड को जालंधर में कौन-से कामों पर खर्च किया गया। वैसे शहर की हालत देखकर लगता नहीं कि जालंधर स्मार्ट सिटी बन पाया है। न तो पार्कों की हालत सुधरी, न ही सडक़ों का उच्च स्तरीय निर्माण हुआ और न ही समुचित तरीके से जालंधर का सौंदर्यीकरण हुआ। ऐसा न होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने का जो सपना देखा था वो लगता है शहर में कुछ व्यक्तियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। अब अंगुली उन लोगों पर उठ रही है जिन्हें इन प्रोजेक्टों के तहत काम अलॉट हुए। स्मार्ट सिटी के बाकी प्रोजेक्टों की तरह एक प्रोजक्ट के तहत जालंधर के पार्कों का सौंदर्यीकरण और उनमें ग्रीन बेल्ट का विकास होना था। इसके अलावा चयनित पार्कों को झूलों, सुंदर बाग बगीचों, सैर करने वालों के लिए सुविधाओं से संपन्न बनाया जाना था। आरटीआई एक्टिविस्ट कर्णप्रीत सिंह की तरफ से आरटीआई से प्राप्त जानकारी में कई ऐसे सवाल पैदा हो गए हैं जोकि इस मामले में कथित रूप से भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहे हैं। जालंधर के 18 पार्कों और फ्लाईओवर के नीचे व नहर किनारे ग्रीन एरिया डेवलपमेंट के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए का फंड जारी हुआ। इन पार्कों के सौंदर्यीकरण के ठेके प्राप्त करने वालों को पार्क की बाऊंड्री पक्का करने के लिए लाखों रुपए दिए गए लेकिन पार्कों की हालत देखकर ऐसा नहीं लगता कि पार्कों की हालत सुधारने पर पैसे खर्च हुए हैं।
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