चंडीगढ़ः पीजीआई में बेहोशी की दवा प्रोपोफोल से मरीजों की मौत के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पीजीआई की इमरजेंसी स्थित गुप्ता मेडिकोज से खरीदी गई बेहोशी की दो दवाओं के नमूने क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में फेल पाए गए हैं। बीते 26 सितंबर को आई रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों दवाओं के सैंपल स्टैंडर्ड क्वालिटी के नहीं हैं। इस रिपोर्ट के आने से पूरे घटनाक्रम ने एक अलग मोड़ ले लिया है क्योंकि अब तक सिर्फ इमरजेंसी की दवा की दुकान से गलत दवा बेचे जाने से मरीजों की मौत की आशंका जताई जा रही थी जबकि स्थिति उससे भी ज्यादा गंभीर हो चुकी है।

जांच में फेल पाए गए दोनों नमूनों में शामिल दवाओं की आपूर्ति मौजूदा समय में पीजीआई और जीएमसीएच-32 के अलावा अन्य सरकारी अस्पतालों में की जा रही है। इसका उपयोग मरीजों को बेहोश करने में अब भी हो रहा है। इस पूरे प्रकरण पर पीजीआई प्रशासन अब भी चुप्पी साधे है। पीजीआई प्रशासन ने अब तक न तो मामले में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट का खुलासा किया है और न ही संबंधित दवा की दुकान से मिले स्पष्टीकरण की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इससे कई सवाल खड़े होने लगे हैं।पीजीआई में 25 से 30 अगस्त के बीच में न्यूरो सर्जरी के मरीजों में सर्जरी के बाद अचानक मौत के मामले बढ़ने पर डॉक्टरों ने आपत्ति जताई थी। इसकी शुरुआती जांच में सामने आया था कि उन्हें दी गई बेहोशी की दवा के कारण यह समस्या हुई है।

 

इसे गंभीरता से लेते हुए पीजीआई प्रशासन ने आनन-फानन जांच कमेटी गठित कर दिया था। वहीं यूटी प्रशासन के ड्रग इंस्पेक्टर ने गुप्ता मेडिकोज से दो नमूने लेकर जांच के लिए भेजे थे। उस दौरान नमूना लेने आई टीम ने प्रोपोफोल सॉल्ट से बनी दो अलग-अलग कंपनियों की बेहोशी की दवा प्रोपोवैन और नियोरोफ के नमूने लिए थे। प्रोपोवेन निक्सी लैब में नियोरोफ नियॉन लैब में बन रही है।

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