नई दिल्ली, । एक तरफ पुरी दुनिया में कच्चे तेल के रेट 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है, वहीं एक प्रमुख सरकारी तेल कंपनी के प्रमुख ने कहा है कि चिंता न करें यह महंगा नहीं सस्ता होने जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो लोगों को जल्द ही सस्ता पेट्रोल और डीजल मिलना शुरू हो सकता है। हालांकि यह महंगा होगा या सस्ता यह कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा। यह बयान अमेरिका के उस कदम के बाद आया है, जिसमें अमेरिका ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि इसके बाद रूस के कच्चे तेल की कीमत 2008 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। उधर रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर अलेक्सांद्र नोवाक कहा कहना है कि अमेरिका के इस कदम से ग्लोबल इनर्जी मार्केट में भयानक परिणाम निकलेंगे। वहीं कच्चे तेल की कीमतें 300 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकती हैं। आइये जानते हैं कि इस टॉप सरकारी अधिकारी ने क्या कहा हैदुनियाभर में इस भारी उठापटक के बाद भी देश में दीपावली से अभी तक पेट्रोल और डीजल का रेट नहीं बदला है। यानी यह न तो सस्ता हुआ है और न ही महंगा हुआ है। हालांकि इसका कारण सभी लोग 5 राज्यों का चुनाव मान रहे हैं। लेकिन इन 5 राज्यों में अब वोटिंग पूरी हो चुकी है और 10 मार्च को मतगणना होने जा रही है। ऐसे में 10 मार्च के बाद से हो सकता है कि पेट्रोल और डीजल का रेट बढ़ना शुरू हो। लेकिन जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के रेट में प्रति लीटर 12 रुपये से लेकर 15 रुपये बढ़ाने की बात हो रही है, इस सरकारी अधिकारी अधिकारी के बयान के बाद से वह सही नहीं लग रहा है।देश की सबसे बड़ी रिफायनरी चलाने वाली कंपनी बीपीसीएल के चेयरमैन और एमडी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि अगले 2 हफ्ते में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के भी नीचे आ सकती है। ऐसे में आमलोगो को घबराने की जरूरत नहीं है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस विवाद खत्म होने के बाद कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ सकता है। उनके अनुसार इस समय घबड़ाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि दुनिया लंबे समय तक कच्चे तेल की इतनी ऊंची कीमत नहीं झेल सकती है। इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और कच्चे तेल की मांग में कमी भी आ जाएगी। उनके अनुसार अगर कच्चे तेल के रेट में तेजी बनी रहती है तो इससे मांग में 2 से 3 प्रतिशत की कमी दर्ज हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो रोज 2 से 3 मिलियन बैरल प्रतिदिन मांग में कमी दर्ज हो जाएगी। इसका सीधा सा असर भी कच्चे तेल के रेट पर पड़ेगा।
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