जालंधर :- पराली जलाने को लेकर प्रदेश सरकार की तरफ से चलाई जा रही जागरूकता मुहिम और विशेषज्ञों की तरफ से कोरोना मरीजों की पराली के धुएं की वजह से सेहत और बिगड़ने के दावों के बीच जिले की पंचायतें पराली जलाने के खिलाफ एकजुट होने लगी हैं। वीरवार को तीन पंचायतों ने पराली जलाने के खिलाफ प्रस्ताव पास करके इस मुहिम में जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलकर चलने का ऐलान किया है।

प्रस्ताव के मुताबिक संबंधित गांवों में सिर्फ सुपर एसएमएस वाली कंबाईनों से ही धान की फसल काटी जाएगी और पंचायतें सरकार की तरफ से जारी निर्देशों का उल्लंघन होने पर इसकी तत्काल सूचना जिला प्रशासन व पुलिस को देंगी। ये प्रस्ताव हीरापुर, भगवानपुर और काला बकरा की पंचायतों की तरफ से पास किए किए गए हैं।

यह प्रयास कोरोना वायरस महामारी के बीच लोगों को साफ-सुथरी हवा और वातावरण देने की कोशिश के तहत किया गया है ताकि महामारी से लड़ रहे प्रशासन को सहयोग मिल सके।

विस्तृत जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने बताया कि जिला प्रशासन इस दिशा में अनथक कोशिशें कर रहा है ताकि कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग को जीतने में कोई कसर बाकी न रहे। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से जहरीली गैसें पैदा होती हैं, जोकि वातावरण में जाकर लोगों के लिए सांस की दिक्कतें पैदा करती हैं।

उन्होंने कहा कि पंचायतें पराली को जलने से रोकने में काफी मददगार साबित हो सकती हैं इसलिए बाकी की पंचायतें भी आगे आकर इस तरह के प्रस्ताव पास करकें प्रदेश सरकार की मुहिम के साथ जुड़ें।

उन्होंने कहा कि पराली जलाने से हवा में 70,000 एमजी प्रदूषण कण दाखिल होते हैं, जोकि हमारी सेहत के लिए हानिकारक हैं। इसके अलावा पराली जलने पर भूमि में शामिल 17 पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जोकि हमारी फसलों और जमीन को उपजाऊ बनाए रखने में बेहद मददगार हैं। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि प्रशासन की तरफ से पहले ही 511 नोडल और कलस्टर ऑफिसर तैनात किए जा चुके हैं, जोकि पराली जलने की घटनाओं की दिनरात निगरानी सुनिश्चित करेंगे।

 उन्होंने पंचायतों से अपील करते हुए कहा कि वे सुनिश्चित करें कि किसान पराली प्रबंधन को लेकर उपयुक्त कदम उठाएं और अपने गांव में पराली जलाने की घटनाओं पर पूरी तरह से नकेल लगाने की दिशा में प्रयास करें।

मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि खेतीबाड़ी व किसान कल्याण विभाग की तरफ से किसानों को जागरूक करने के लिए पराली जलाने के खिलाफ व्यापक जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है क्योंकि कोरोना वायरस के दरमियान पराली की आग मरीजों की सेहत और खराब कर सकती है। उन्होंने कहा कि विभाग की तरफ से किसानों को पराली प्रबंधन के लिए हाईटेक मशीनरी सब्सिडी पर दी जा रही है, जिसका लाभ कोई भी किसान ले सकता है।

 उन्होंने कहा कि विभाग की तरफ से इस दिशा में प्रगतिशील किसानों को साथ लेकर दूसरे किसानों को जागरूक करने की मुहिम चलाई गई है ताकि बाकी के किसान भी तकनीक का इस्तेमाल करके पराली के बेहतर प्रबंधन की मुहिम में शामिल हो सकें। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने पराली जलाने की बजाय तकनीक का इस्तेमाल करके उसे खेतों में ही जोत दिया है, उन्हें फसल का अच्छा झाड़ प्राप्त हुआ है। इसके अलावा उनकी जमीन की उपजाऊ शक्ति में भी इजाफा हुआ है।

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