
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त सामुहिक निःशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान रोहित भाटिया से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने अलौकिक हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को पावन त्योहार श्री जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए प्रभु श्रीकृष्ण के बारे में बताते है कि प्रभु श्रीकृष्ण इस पावन धरती पर अवतरित हुए, वह भी मानव रूप में, जिससे हम सभी मानवों को यह शिक्षा दे सकें कि जीवन में हमारे सामने कितने ही कष्ट क्यों ना आ जाएं, हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए। तनिक सोचिए! योगीराज कहलाने वाले भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म कितनी विकट परिस्थितियों में हुआ और संपूर्ण जीवन उनके ऊपर मृत्यु तुल्य कष्ट मंडराते रहे लेकिन वे सदैव मुस्कुराते रहे और हर चुनौती का उन्होंने पूरे साहस के साथ सामना किया।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि इस जन्माष्टमी के महान पर्व पर श्रीकृष्ण के जीवन से मिलने वाली उन महत्वपूर्ण सीखों को जानते हैं, जिनमें से यदि हम एक दो को भी अपने जीवन में उतार लें तो वास्तव में श्रीकृष्ण के उपदेशों का और उनके द्वारा प्रदान किए गए महान ब्रह्मज्ञान का हमें फल मिल जाएगा और हमारा जीवन सफल हो जाएगा।
श्रीकृष्ण ने सुदामा और अन्य सखाओं के माध्यम से हमें यह सिखाया कि मित्रता एक ऐसा बड़ा और सच्चा धर्म है, जो ना तो जाति-पाति देखता है और ना ही किसी प्रकार की अमीरी या गरीबी। मित्र को मित्र के रूप में उसकी कमियों के साथ स्वीकार करना ही सच्ची मित्रता है। यही कारण है कि जगत आज भी श्रीकृष्णा और सुदामा की मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने सभी से प्रेम का भाव दिया। श्रीकृष्ण का प्रेम मात्र स्त्री पुरुष का प्रेम नहीं, जो आजकल लोग सोचते हैं, बल्कि वह तो उससे कहीं ऊपर की बात है। वह संपूर्ण जगत को प्रेम देने वाले प्रभु हैं और वास्तव में वसुधैव कुटुंबकम का संदेश उन्हीं के द्वारा दिया गया है क्योंकि उनके अनुसार सभी जीवों से प्रेम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कभी गाय चराईं तो कभी पशु पक्षियों और ग्वाल बालों के साथ खेले। उन्होंने जीवों पर दया और प्रेम भाव दिखाने के लिए भी हमें प्रेरित किया है।
जब बार-बार कंस श्रीकृष्ण को मारने के लिए असुरों को भेजता और उसे अनेक ग्वाल बालों की क्षति होती तो उन सब के कष्ट को दूर करने के लिए स्वयं ही श्रीकृष्ण आगे बढ़े। यह एक नेतृत्वकर्ता नायक के रूप में श्रीकृष्ण का चित्रण है, जिससे हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के भले के लिए हमें स्वयं आगे बढक़र प्रयास करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण ने ही मोहग्रस्त अर्जुन को अपने श्रीमुख से गीता जैसा दिव्य ज्ञान दिया, जो हमें आज भी जीवन की सभी उलझनों से निकालने में सक्षम है। इस प्रकार हम देखें तो भगवान श्रीकृष्ण ने कदम-कदम पर हमें कुछ ना कुछ सिखाया है। वास्तव में जन्माष्टमी का शुभ पर्व भगवान श्रीकृष्ण के सिखाए रास्ते पर आगे बढऩे का समय है और यह हमें प्रेरित करता है कि हमें भगवान द्वारा दिए गए रास्ते का अनुसरण करते हुए जीवन में एक अद्भुत व्यक्तित्व प्राप्त करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। ईश्वर की दृष्टि में सभी एक समान हैं, इसलिए हमें भी सभी को बराबरी की दृष्टि से देखना चाहिए।
इस अवसर पर राकेश प्रभाकर,पूनम प्रभाकर ,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा, जानू थापर, मुनीष मैहरा,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत, दानिश, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा,मुकेश, रजेश महाजन,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,अनिल, कमल नैयर, अजय सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।