Delhi: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि देश में पेमेंट सिस्टम में क्रांति लाने वाला यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस हमेशा मुफ्त नहीं रह सकता। उन्होंने संकेत दिया कि अंततः डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर चलाने की लागत उपयोगकर्ताओं पर डालनी पड़ सकती है।मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह अभी भी मुफ्त नहीं है, इसे कोई न कोई भुगतान कर रहा है। सरकार इसे सब्सिडी दे रही है, लेकिन कहीं न कहीं इसकी लागत चुकाई जा रही है।”जब उनसे पूछा गया कि क्या मर्चेंट डिस्काउंट रेट या इसी तरह के शुल्क उपभोक्ताओं पर लगाए जा सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “लागत होती है और ये लागत किसी न किसी को चुकानी ही पड़ती है। यह महत्वपूर्ण है कि कौन भुगतान करता है, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि कोई तो बिल चुकाए। MDR वह शुल्क होता है जो भुगतान प्रोसेसिंग कंपनियां दुकानों और व्यवसायों से डिजिटल भुगतान स्वीकार करने पर लेती हैं। जनवरी 2020 से UPI ट्रांजेक्शंस को MDR से छूट मिली हुई है।

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