बिहार :भारत दुनिया में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से है. दुनिया भर में बाढ़ से जितनी मौतें होती हैं, उसका पांचवा हिस्सा भारत में होता है. देश की कुल भूमि का आठवां हिस्सा यानी तकरीबन चार करोड़ हेक्टेयर इलाका ऐसा है जहां बाढ़ आने का अंदेशा बना रहता है. पूरे देश में बाढ़ के एक जैसे हालात हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो 1952 से 2018 के 65 सालों में देश में बाढ़ से एक लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 8 करोड़ से अधिक मकानों को नुकसान पहुंचा जबकि 4.69 ट्रिलियन से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ.वैसे तो असम, बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्य बाढ़ की तबाही हर साल झेलते हैं लेकिन बिहार में हालात सबसे ज्यादा गंभीर है. बिहार के करीब 74 फीसदी इलाके और 76 फीसदी आबादी बाढ़ की जद में हमेशा रहती है. खासकर उत्तरी बिहार में रहने वाले इलाके बाढ़ के खतरे के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं और इसका कारण है नेपाल से आने वाली नदियां, जिनकी उत्पति हिमालय की वादियों में होती हैं और ढलान के कारण पानी हर साल तेज रफ्तार में बिहार की ओर आ जाता है उत्तर बिहार के इलाकों में नेपाल से आने वाली प्रमुख नदियां कोसी, महानंदा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती बाढ़ का कारण बनती हैं तो दक्षिण बिहार के इलाकों में सोन, पुनपुन और फाल्गू जैसी नदियां. दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा, सारण, गोपालगंज और आसपास के जिले बिहार में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से हैं.
यहां हर साल मॉनसून के मौसम में पानी में डूबे मकान-सड़क-रेल ट्रैक और हाईवे और ऊंचे इलाकों में बाढ़ पीड़ितों के लगे कैंप, सड़क किनारे शरण लिए हुए परिवार और राहत शिविरों का नजारा आम है. राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक पिछले साल बिहार के 16 जिलों में बाढ़ के हालात बने. 1333 गांव पानी में डूबे और 85 लाख के करीब लोग प्रभावित हुए. कई लोगों की जान चली गई तो हजारों मकान इस बाढ़ में तबाह हो गए. हजारों एकड़ खेत में खड़ी धान और गन्ने की फसल बर्बाद हो गई