
जालंधर : संजय कालिया
हे केशव! हे बुद्ध का शरीर धारण करने वाले ! जगदीश! हे पाखण्ड का हरण करने वाले हरे! तुम्हारी, जय हो , क्योंकि तुम दया से युक्त हृदय वाले हो! अतएव अहिंसारूप परम-धर्म को मानने वाले हो। अहह। अतएव पशुओं की हिंसा का प्रदर्शन करने वाले, यज्ञविधि के श्रुतिसमुदाय की निन्दा करते रहते हो।
गौतम बुद्ध और भगवान बुद्ध एक नहीं हैं।
——————
भगवान के प्रमुख दस अवतारों में भगवान बुद्ध, नौवें अवतार हैं। आप भगवान क्षीरोदशायी विष्णु के अवतार हैं।
बलि प्रथा की अनावश्यक जीव हिंसा को बन्द करने के लिये ही आपका अवतार हुआ।
आपकी माता का नाम श्रीमती अन्जना था व आपका प्रकट स्थान था ‘गया’ (बिहार), भारत।
विचारणीय बात यह है कि शुद्धोदन व माया के पुत्र, शाक्यसिंह बुद्ध और भगवान बुद्ध एक नहीं हैं। श्रीशाक्यसिंह बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति थे, कठिन तपस्या के बाद जब उन्हें तत्त्वानुभूति हुई तो वे बुद्ध कहलाये जबकि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं।
1807 में रामपुर से छपी, अमरकोश में श्रीमान् एच टी कोलब्रुक ने इसको प्रमाणित किया है।
श्रीललित विस्तार ग्रन्थ के 21 वें अध्याय के 178वें पृष्ठ पर बताया गया है कि संयोगवश गौतम बुद्ध जी ने उसी स्थान पर तपस्या की जिस स्थान पर भगवान बुद्ध ने तपस्या करने की लीला की। इस कारण लोगों ने दोनों को एक ही मान लिया।
जर्मन के वरिष्ठ स्कॉलर श्रीमैक्स मुलर जी के अनुसार शाक्यसिंह बुद्ध अर्थात् गौतम बुद्ध, कपिलावस्तु के लुम्बिनी के वनों में 477 बी सी में पैदा हुए थे।
गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोदन तथा माता का नाम श्रीमती मायादेवी है। जबकि भगवान बुद्ध की माता का नाम अन्जना था और पिता का नाम हेमसदन था व उनकी प्रकट स्थली ‘गया’ है।