
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को भगवान भोलेणनाथ की सावन महीने में पूजा-अर्चना करके न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त करना, बल्कि उनके जीवन से महत्वपूर्ण सीख भी लेने को कहा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को त्रिलोकपति कहा जाता है- वो संहारक भी हैं और सृजनकर्ता भी। उनकी हर लीला में, उनके हर रूप में जीवन का गहरा संदेश छिपा है।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि सोचिए, एक देवता जो कैलाश पर्वत पर रहते हैं, जिनका श्रृंगार भस्म है, जो नागों को गले में धारण करते हैं और जिनका वाहन एक साधारण नंदी बैल है- फिर भी वे सबसे शक्तिशाली हैं। आखिर ऐसा क्यों? क्योंकि भगवान शिव केवल बाहरी आडंबरों में नहीं, बल्कि ज्ञान, संयम, त्याग और सादगी में विश्वास रखते हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहां हर कोई सफलता और सुख की तलाश में है, वहीं भगवान शिव के जीवन से मिली शिक्षाएं हमें सही दिशा दिखा सकती हैं। भगवान शिव के जीवन से जुड़ी अनमोल बातें हमारी सोच को बदल सकती हैं और हमें एक सफल, शांत और खुशहाल जीवन की ओर ले जा सकती हैं। नवजीत भारद्वाज जी ने प्रभु भक्तों को बड़े विनम्र और सरल तरीके से भगवान शिव के जीवन को बड़ी सरलता से समझाते हुए कहा कि
*भगवान शिव को त्रिकालदर्शी कहा जाता है- वो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों को जानते हैं, लेकिन इसके बावजूद, वे हर स्थिति में संयम और धैर्य बनाए रखते हैं।*
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि इससे हमें सीख मिलती है कि जब भी जीवन में कठिनाइयां आएं, धैर्य न खोएं। सही समय पर सही निर्णय लें और भावनाओं को संतुलित रखें।
*भगवान शिव का रहन-सहन बेहद सरल है- सिर्फ बाघांबर धारण किए, गले में नाग और भस्म से अलंकृत! इसके बावजूद, वे पूरे ब्रह्मांड के अधिपति हैं।*
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि इससे हमें सीख मिलती है कि जरूरी नहीं कि खुश रहने के लिए ढेर सारी दौलत या ऐशो-आराम हो। असली सुख और सफलता सादगी में है।
*शिव को ‘रुद्र’ कहा जाता है, यानी जब वे क्रोधित होते हैं, तो संहार कर सकते हैं, लेकिन वे कभी भी बिना कारण क्रोध नहीं करते और जब भी क्रोधित होते हैं, तो वह किसी अच्छे उद्देश्य के लिए होता है।*
इस से हमें सीख मिलती है कि क्रोध स्वाभाविक है, लेकिन इसे बेवजह दूसरों पर निकालने की बजाय सही दिशा में उपयोग करें।
*शिव न किसी को ऊंचा समझते हैं, न किसी को नीचा। वे देवताओं के भी देव हैं, लेकिन उनके गणों में भूत, पिशाच, नाग और सभी प्रकार के प्राणी शामिल हैं।*
इससे हमें सीख लेनी चाहिए कि जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी से ऊपर उठकर हर व्यक्ति को समान सम्मान दें। यह सोच ही आपको एक सच्चा और अच्छा इंसान बनाएगी।
नवजीत भारद्वाज जी प्रवचनों पर विराम लगाते हुए अंत में कहा कि समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल (विष) निकला, तो सभी देवता और दानव इससे बचना चाहते थे, लेकिन शिव ने बिना किसी स्वार्थ के इसे अपने कंठ में धारण कर लिया और दुनिया को बचाया।
इस अवसर पर अमरेंद्र कुमार शर्मा,राकेश प्रभाकर, पूनम प्रभाकर, समीर कपूर,सरोज बाला,नरेश, सुभाष डोगरा, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,राकेश शर्मा,नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत,डॉ गुप्ता,संजीव शर्मा,मुकेश,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह,दीलीप, लवली, लक्की,जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन यज्ञ के उपरांत श्री शनिदेव महाराज जी की आरती एवं लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।