महाराष्ट्र में भाजपा-एनसीपी-शिवसेना सरकार ने ओबीसी के साथ-साथ एससी यानी अनुसूचित जाति के वोटरों को भी लुभाने वाला दांव चला है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व वाली महायुती सरकार ने राज्‍य अनुसूच‍ित आयोग को संवैधान‍िक दर्जा देने वाले अध्‍यादेश पर मुहर लगा दी है. इसे अगले विधानमंडल के सत्र में पेश किया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार के इन दो फैसलों को चुनाव से पहले बड़ा कदम बताया जा रहा है. सियासी पंडित इसे महाराष्ट्र में ओबीसी और एससी वोटर्स को लुभाने की कोश‍िश के तौर पर देख रहे हैं. राहुल गांधी भी ओबीसी और एससी वोटर्स को लुभाने की कोशिश में हैं. यही वजह है कि वह बार-बार जाति जनगणना की बात करते रहे हैं.

सरकारी बयान के मुताबिक, शिंदे कैबिनेट की बैठक में महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई. यह अध्यादेश विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग के लिए 27 पद स्वीकृत किए गए हैं. इतना ही नहीं, महाराष्ट्र की सात प्रमुख जातियों और उप जातियों को केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग (सेंट्रल ओबीसी) लिस्ट में शामिल करने के लिए भी शिंदे सरकार के प्रस्ताव पर बड़ा अपडेट सामने आया है. एनसीबीसी यानी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इन जातियों को केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की सिफारिश की है. इस पर पिछले एक साल से काम चल रहा था.

जिन जातियों को केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश की गई है, वे जातिया-उप जातिया हैं- सूर्यवंशी गुजर, लेवे गुजर, लोध, लोधी, लोढ़ा, रेव गुजर, रेवे गुजर, पवार, कपेवार, भोयर, डंगरी, मुन्नार कपु, मुन्नार कपेवार, बुकेकारी, पेंटररेड्डी, तेलंगा और तेलंगी. महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल ही इसकी सिफारिश की थी. ये जातियां महाराष्ट्र में ओबीसी लिस्ट में शामिल हैं. इन्हें केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल कराने के लिए सरकार ने यह प्रस्ताव भेजा था. अब सवाल है कि क्या महाराष्ट्र में चुनाव पहले यह तोहफा मिल पाएगा? अगर चुनाव से पहले सरकार की मुहर लगती है तो इसका फायदा एनडीए को चुनाव में बंपर मिल सकता है. इन फैसलों में से एक पर मुहर लगाने की कमान महाराष्ट्र सरकार के हाथ में है तो दूसरे और तीसरे की कमान केंद्र की मोदी सरकार के हाथ में. अगर महाराष्ट्र सरकार की बात मान कर केंद्र सरकार क्रीमी लेयर तय करने की सीमा 15 लाख कर देती है तो यह महाराष्ट्र चुनाव में बड़ा सियासी कदम होगा. भले ही महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले में वक्त लगे, मगर चुनाव से पहले एनडीए ने महाराष्ट्र के वोटरों के सामने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है.

अब महाराष्ट्र में बढ़ी राहुल की टेंशन
दरअसल, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुती सरकार मराठा आरक्षण आंदोलन के मुद्दे से जूझ रही थी. मराठा आरक्षण की मांग करने वाले आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे बार-बार अनशन करके सरकार की टेंशन बढ़ा रहे थे. इस पर एनडीए बैकफुट पर नजर आ रहा था. इस मुद्दे को महाविकास अघाड़ी गठबंधन चुनाव में भुनाने की कोशिश में था. मगर उससे पहले ही एनडीए ने खेल कर दिया. भाजपा, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना ने मिलकर महाराष्ट्र को जीतने का प्लान बना लिया. महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का असर चुनाव में दिख सकता है. इस कदम से महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने ओबीसी को साधने की कोशिश की है. महायुती के इस प्लान पर राहुल गांधी के प्लान पर पानी फिर सकता है.

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