महाराष्ट्र : सरकार गठन को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर आज बड़ा फैसला लिया जा सकता है, जिसके बाद राज्य की नई सरकार का रास्ता साफ हो सकता है। शिंदे के अचानक सतारा जाने को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब उनके करीबी सहयोगियों ने इस बारे में स्पष्ट जानकारी दी है कि यह फैसला किसी राजनीतिक उलझन के कारण नहीं, बल्कि शिंदे की अस्वस्थता के चलते लिया गया था शिवसेना के नेता संजय शिरसाट और उदय सामंत ने इस बात की पुष्टि की है कि एकनाथ शिंदे बुखार और सर्दी से पीड़ित थे, जिसके कारण वह इलाज के लिए अपने पैतृक गांव सतारा चले गए थे। गुरुवार रात दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान भी शिंदे अस्वस्थ थे। स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्होंने महायुति के सहयोगी दलों (भा.ज.पा., शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) की शुक्रवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक को भी रद्द कर दिया था। उदय सामंत ने बताया कि शिंदे का गांव जाने का निर्णय किसी राजनीतिक कारण से नहीं लिया गया है। वह सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से घर गए हैं, ताकि आराम कर सकें। शिंदे के गांव जाने को लेकर यह भी कहा गया है कि जब भी उन्हें किसी बड़े राजनीतिक फैसले पर विचार करने की आवश्यकता होती है, तो वह हमेशा अपने गांव जाते हैं। शिवसेना शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे की राजनीतिक रुचि पूरी तरह से महाराष्ट्र की राजनीति में है, और इसलिए वह केंद्रीय राजनीति में कोई भी पद स्वीकार नहीं करेंगे। शिरसाट ने यह भी कहा कि अगर शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद नहीं स्वीकार करते हैं, तो पार्टी से ही कोई अन्य नेता यह पद संभाल सकता है। इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि शिंदे के पास मुख्यमंत्री बनने का मजबूत मौका है, और उनका पूरा ध्यान राज्य की राजनीति पर केंद्रित है। शिंदे ने पहले भी कहा था कि उनका उद्देश्य सिर्फ महाराष्ट्र की सेवा करना है, और यदि वह मुख्यमंत्री पद का दायित्व स्वीकार करते हैं, तो यह राज्य के लोगों के हित में होगा।
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