
चंडीगढ़, 2 जून
मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने योजनाबद्ध और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य में नई और प्रगतिशील भूमि पूलिंग नीति लाने को मंजूरी दे दी।
इस संबंध में निर्णय आज मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में उनके सरकारी निवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
मुख्य मंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि नई नीति का उद्देश्य भूमि मालिकों, प्रोमोटरों और कंपनियों को विकास प्रक्रिया में भागीदार के रूप में शामिल करना और भूमि मालिकों की भूमि पूलिंग में रुचि बढ़ाना है। इस संशोधित योजना को छोटे और हाशिए पर धकेले गए किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि उन्हें अधिक प्रतिफल प्रदान किया जा सके, जिससे राज्य में समूह हाउसिंग और योजनाबद्ध विकास को और बढ़ावा मिलेगा, ताकि अंततः आम आदमी को लाभ हो सके। इस नीति को समग्र प्रक्रिया में प्रत्येक भागीदार को जोड़कर सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है।
यह नई नीति राज्य में बड़े बदलाव का कारण बनेगी क्योंकि यह किसानों को बड़े लाभ प्रदान करेगी। किसानों का और शोषण नहीं होगा और इस नीति के तहत किसानों को सीधे तौर पर करोड़ों रुपये का लाभ होगा। कोई भी निजी डेवलपर या भू-माफिया किसानों का शोषण नहीं कर सकेगा क्योंकि नीति यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को निजी डेवलपर्स द्वारा किए जाने वाले शोषण से सुरक्षित रखा जाए।
इस नीति के तहत पूरा अधिकार किसान के पास है और यह 100 प्रतिशत किसान का निर्णय होगा कि सरकार को जमीन देनी है या नहीं। किसान या तो अपनी जमीन रख सकते हैं और खेती जारी रख सकते हैं या इसे बेचने का विकल्प चुन सकते हैं। पहले की तरह जबरदस्ती कोई जमीन अधिग्रहित नहीं होगी।
किसान की लिखित सहमति (एन.ओ.सी.) के बिना कोई कार्रवाई नहीं होगी और जमीन सीधे सरकार को दी जाएगी, निजी डेवलपर्स को नहीं। सरकार जमीन का पूरी तरह विकास करेगी और किसानों को प्लॉट वापस करेगी, जिसमें सड़कें, बिजली और पानी के कनेक्शन, सीवरेज पाइप, स्ट्रीट लाइटें और पार्क जैसी सभी सुविधाएं शामिल होंगी।
इन प्लॉटों की कीमत बाजार मूल्य से चार गुना अधिक होगी। प्रत्येक किसान को सरकार से एक लिखित दस्तावेज प्राप्त होगा, जिसमें किसान के पूरे अधिकार का स्पष्ट उल्लेख होगा। किसान 500 वर्ग गज के दो प्लॉट प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं और किसानों को इन प्लॉटों को रखने या बेचने की पूरी आजादी होगी। लाभ केवल एक एकड़ तक सीमित नहीं है और जितना अधिक योगदान किसान देगा, उतना ही अधिक मुनाफा होगा।
इसके अलावा, भागीदारी के माध्यम से अतिरिक्त लाभ होंगे, क्योंकि यदि कोई किसान नौ एकड़ का योगदान देता है, तो उसे तीन एकड़ विकसित समूह हाउसिंग जमीन मिलेगी। यदि कई किसान सरकार के लिए 50 एकड़ जमीन एकत्र करते हैं, तो उन्हें बदले में 30 एकड़ पूरी तरह विकसित जमीन मिलेगी। यह नीति भू-माफिया राज के अंत और अवैध कॉलोनियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था करती है।
कॉलोनियों को जारी लाइसेंसों के आंशिक समर्पण और आंशिक रद्दीकरण को मंजूरी
मंत्रिमंडल ने पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट (पापरा), 1995 के तहत कॉलोनियों को जारी किए गए लाइसेंसों के आंशिक समर्पण और आंशिक रद्दीकरण को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने औद्योगिक पार्क परियोजनाओं को जारी की गई मंजूरियों के आंशिक रद्दीकरण को भी अपनी सहमति दे दी है।
इस बारे में एक नीति 10 मार्च, 2025 को अधिसूचित की गई थी, जो पापरा एक्ट के तहत कॉलोनियों के विकास के लिए लाइसेंसों के समर्पण और औद्योगिक पार्कों के लिए मंजूरियों से संबंधित है। यह निर्णय कुछ शर्तों के तहत लाइसेंस प्राप्त क्षेत्रों के आंशिक समर्पण के साथ-साथ ऐसी परियोजनाओं के लिए लाइसेंसों को आंशिक रूप से निलंबित या रद्द करने की अनुमति देगा।
प्लॉटों की एकमुश्त अदायगी करने वाले आवंटियों के लिए रियायतों को मंजूरी
आवासीय, वाणिज्यिक और अन्य संपत्तियों के प्लॉटों के आवंटियों और बोलीकर्ताओं को कुल राशि का 75 प्रतिशत एकमुश्त भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रिमंडल ने आवंटियों को कई रियायतें देने की मंजूरी दे दी। आवंटियों को एकमुश्त भुगतान के बदले प्लॉट/साइट की कीमत पर 15 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इस निर्णय से राज्य सरकार को एक साथ आय प्राप्त होगी और ऐसे मामलों में डिफॉल्टर्स की सूची भी कम होगी।
राज्य के विकास को बढ़ावा देने के लिए ई.डी.सी., सी.एल.यू. में वृद्धि को मंजूरी
राजस्व उत्पन्न करके राज्य के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल ने रियल एस्टेट प्रोमोटरों पर लागू होने वाली बाहरी विकास दरों (ई.डी.सी.), भूमि उपयोग परिवर्तन (सी.एल.यू.) की दरों, लाइसेंस फीस (एल.एफ.) और अन्य दरों को बढ़ाने को भी मंजूरी दे दी।
इन प्रोमोटरों को पापरा के तहत कॉलोनियों के साथ-साथ पंजाब सरकार की मेगा प्रोजेक्ट नीति के तहत मेगा परियोजनाओं के लिए बाहरी विकास शुल्क (ई.डी.सी.) जमा करने की आवश्यकता होती है। इन दरों में बदलाव के लिए अंतिम बार 06 मई, 2016 को अधिसूचित किया गया था, जिसमें यह प्रावधान भी जोड़ा गया था कि एक अप्रैल से हर साल 10 प्रतिशत की दर से इन दरों में वृद्धि होगी।
हालांकि, कुछ वर्षों के लिए सरकार ने इस वृद्धि को माफ कर दिया था। इन दरों में एक अप्रैल, 2020 से वृद्धि की गई थी और वर्ष 2016 से लगभग 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस निर्णय के साथ सी.एल.यू. दरों, ई.डी.सी. दरों और लाइसेंस फीस में एक अप्रैल, 2026 से हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी।