दिव्या ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा बिधिपुर, जालंधर स्थित आश्रम में साप्ताहिक आध्यात्मिक कार्यक्रम किया गया। जिसमें गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी पल्लवी भारती जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि सहस्त्राब्दियों पूर्व त्रेता युग में इस धरा धाम पर पूर्ण अवतार श्री राम का प्राकट्य हुआ। सत्य सनातन आदर्श,चारित्रिक गुणों, व्यवहारिक मर्यादा की परिपूर्ण परिभाषा श्री राम से प्राप्त होती है। श्री राम विशुद्ध आचार विचार व्यवहार के समूर्त रूप है।रीति नीति तथा प्रीति के अद्वितीय संगम है। आदर्श पुत्र,आदर्श भ्राता,आदर्श पति,आदर्श मित्र,आदर्श शत्रु,आदर्श राजा इन समस्त चरित्रों की गुण धाराएं श्री राम सिंधु में समाहित है।इनका क्रोध में भरकर प्रत्यंचा चढ़ाना तक एक उत्तम आदर्श है। श्री राम का संपूर्ण जीवन,उसका प्रत्येक पक्ष हमारे लिए अनुकरणीय एवं प्रेरक है। उनके हर जीवन आदर्श को यदि युवा अपने चरित्र में आरोपित कर ले तो वह अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है। साध्वी जी ने यह भी बताया कि युवा शब्द को उल्टा कर लिखें तो वायु शब्द बनता है। अर्थात युवा की सबसे पहली शर्त यह है कि वह वायु के समान वेगवान हो! उत्साह की वायु से लबालब भरा हो!जिसकी शिराओं में अथक रवानगी बहती हो! जो अपनी मंजिल को प्राप्त करने के जुनून को लेकर आगे बढ़ता हो!वही वास्तविक युवा है। आगे बताते हुए कहा कि युवा ही इस समाज का सृजन सेनानी है। अतः सुंदर समाज के सृजन के लिए समस्त युवाओं को एक गति एक लय से आगे बढ़ना होगा। स्वयं को विकारों से मुक्त कर अन्यों को विकारों से मुक्त होने की प्रेरणा देनी होगी।

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