नयी दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए गुरुवार को कहा कि इस मुहिम को और तेज किया जायेगा।
श्री कोविंद ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कटिबद्ध है और इस दिशा में अनेक कदम उठाये गये हैं। उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि काले धन के खिलाफ शुरू की गई मुहिम और तेज गति से आगे बढ़ायी जायेगी।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष में चार लाख 25 हजार निदेशकों को अयोग्य घोषित किया गया है और तीन लाख 50 हजार संदिग्ध कंपनियों का पंजीयन रद्द किया जा चुका है।
राष्ट्रपति ने आर्थिक अपराध करके विदेश भागने वालों पर नियंत्रण के लिए लाये गये कानून का हवाला देते हुए कहा कि ‘भगोड़ा और आर्थिक अपराधी अधिनियम’ इस मामले में काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा, “अब हमें 146 देशों से जानकारी प्राप्त हो रही है, जिसमें स्विटजरलैंड भी शामिल है। इनमें से 80 देश ऐसे हैं, जिनसे हमारा जानकारियों का स्वत: आदान-प्रदान करने का भी समझौता हुआ है। जिन लोगों ने विदेश में काला धन इकट्ठा किया है, अब हमें उन सबकी जानकारी प्राप्त हो रही है।”
भ्रष्टाचार पर अंकुश की दिशा में दिवालिया एवं शोधन अक्षमता संहिता को देश के सबसे बड़े और प्रभावी आर्थिक सुधारों में से एक करार देते हुए उन्हाेंने कहा कि इसके अमल में आने के बाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों की साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निपटारा हुआ है।
श्री कोविंद ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना का जिक्र करते हुए कहा कि चार सौ योजनाओं की राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचायी जा रही है। पिछले पांच वर्षों के दौरान सात लाख 30 हजार करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित किये गये हैं। इसके परिणामस्वरूप अब तक एक लाख 41 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचे हैं। उन्होंने कहा कि लगभग आठ करोड़ गलत लाभार्थियों के नाम हटा दिये गये हैं।
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