देश के बड़े लोन डिफॉल्टरों के लिए बुरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिनकी वजह से बैंकों की आपराधिक कार्यवाहियां और फ्रॉड डिक्लेरेशन प्रक्रियाएं रुकी हुई थीं। इस फैसले से बैंकों और आरबीआई को कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ अब खुलकर कार्रवाई करने का रास्ता साफ हो गया है।सुप्रीम कोर्ट की एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रशासनिक कार्रवाई को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर रद्द कर दिया गया है तो भी इससे नए सिरे से कार्रवाई करने पर कोई रोक नहीं लगती। यानी अब बैंक और अन्य अधिकारी फिर से आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।कोर्ट ने कहा कि देश के कई हाईकोर्ट्स ने अपनी सीमाओं से आगे जाकर उन एफआईआर और आपराधिक कार्यवाहियों को भी रद्द कर दिया था, जिनके खातों को फ्रॉड घोषित किया गया था। जबकि ऐसी घोषणाओं को सही तरीके से चुनौती भी नहीं दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करना पूरी तरह वैध है और इस पर कोई रोक नहीं होगी।कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ इसलिए कि प्रशासनिक और आपराधिक कार्यवाहियों में तथ्य समान हैं, यह नहीं माना जा सकता कि एक प्रक्रिया के खत्म हो जाने पर दूसरी प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी। इसका मतलब साफ है कि यदि बैंक किसी डिफॉल्टर को फ्रॉड घोषित करता है और उसके खिलाफ अपराध साबित होता है तो एफआईआर दर्ज करना पूरी तरह से सही रहेगा।

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।