शारदीय नवरात्र की विशेष महत्वता आखिर क्यों हैं और प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते

जालंधर :सनातन शास्त्रों में निहित है कि वर्ष में दो गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं। वहीं, चैत्र माह में चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। जबकि, आश्विन महीने में शारदीय नवरात्र मनाए जाने का विधान है। दोनों ही नवरात्र (चैत्र और शारदीय) का विशेष महत्व है, लेकिन चैत्र नवरात्र में पूजा के दौरान बलि नहीं चढ़ाई जाती है। वहीं, शारदीय नवरात्र में मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए बलि भी चढ़ाई जाती है।

हालांकि, यह प्रथा कुछ चुनिदां स्थानों पर ही प्रचलित है। चैत्र नवरात्र के दौरान नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ है। इस शुभ अवसर पर रामनवमी मनाई जाती है। जबकि, शारदीय नवरात्र के अगले दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में दशहरा का पर्व मनाया जाता है।

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर से शुरू हैं  ,वहीं इस पर्व का समापन 11 अक्टूबर को होगा। इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करने का विधान है।सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र के पर्व को अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के लिए मां दुर्गा के मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इस दौरान मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है। साथ ही मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना कर जौ बोए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। क्या आप जानते हैं कि नवरात्र के प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते हैं।,   जब पृथ्वी पर असुरों और दैत्यों का अत्याचार अधिक बढ़ रहा था, तब  असुरों का संहार कर लोगों के जीवन की रक्षा की। धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा और दैत्यों के संघर्ष के समय पृथ्वी पर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। दैत्यों के संहार करने के पश्चात पृथ्वी पर सर्वप्रथम जौ उगे। यही कारण है कि सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान जौ बोने को उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

दूसरी मान्यता के मुताबिक, जब सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की थी, तब सबसे पहले फसल के रूप में जौ उगे थे। इसलिए नवरात्र के प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते हैं।

नवरात्र  में बोए जाने वाले जौ कई खास संकेत देते हैं। अगर जौ का रंग सफेद या हरा हो गया है, तो इससे शुभ संकेत मिलते हैं। मान्यता है इसका अर्थ यह है कि जातक के जीवन की सभी तरह की परेशानियां जल्द दूर हो सकती हैं।  इसके अलावा जौ अंकुरित और विकसित होते हैं, तो यह शुभ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि इससे घर में समृद्धि और खुशियों का आगमन होगा।

अगर आप जीवन में आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में जौ के विसर्जन के बाद थोड़े जौ को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ के योग बनते हैं। आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।

 

 

 

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