जालंधर (नितिन ): शिरोमणी अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से पूछा है कि वह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नही कर रहे, जिन्होने कुख्यात माफिया डाॅप मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में सुरक्षित शरण दी थी, ताकि उत्तर प्रदेश पुलिस को उसका प्रोडक्शन वारंट लेने से रोका जा सके। प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अकाली नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने अदालत में अंसारी के बचाव में खर्च किए गए 55 लाख रूपये वापिस वसूलेंगें, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान पंजाब में माफिया डाॅन को आश्रय देने के पीछे आपराधिक साजिश पर चुप्प क्यों हैं। उन्होने कहा, ‘‘ 55 लाख रूपये की वसूली इस तथ्य की तुलना में एक छोटा मुददा है कि एक राज्य सरकार ने दूसरे राज्य के हितों के खिलाफ काम किया और उत्तर प्रदेश में माफिया डाॅन के खिलाफ दर्ज कई मामलों में न्याय में देरी की गई हो। डाॅ. चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री को सच बोलने से डरना नही चाहिए और जहां जरूरत हो कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होन कहा, ‘‘ क्या यह सच है कि मामले में कार्रवाई नही की जा रही, क्योंकि इनमें से कुछ नेता अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं’’ अकाली नेता ने मुख्यमंत्री की आप पार्टी की सरकार द्वारा मांगे गए अर्धसैनिक बलों की मेजबानी पर पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे खर्च का लेखा-जोखा मांगते हुए मुख्यमंत्री की निंदा की। उन्होने कहा कि अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल पंजाबियों के बीच भय की भावना पैदा करने के लिए किया जाता है, और इससे व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र पहले से ही भयभीत है। इसके परिणामस्वरूप निर्दोष सिख नौजवानों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होने कहा कि पंजाब में संघर्ष के दौरान अर्धसैनिक बलों की मेजबानी में हुए 8500 करोड़ रूपये के खर्च के कारण राजस्व अधिशेष कर्जदार हो गया था। उन्होने कहा ,‘‘पंजाब को अर्धसैनिक बलों की मेजबानी के बिल के बोझ तले नही दबना चाहिए, जिसकी बिल्कूल भी आवश्कता नही है’’।
वरिष्ठ अकाली नेता ने केंद्र के साथ मिलीभगत कर समाज का ध्रुवीकरण का आरोप लगाते हुए कहा मुख्यमंत्री को यह कहते हुए गर्व हो रहा कि उन्होने पहल की है और पंजाब में पिछले 70 सालों से व्यवहारिक रूप में कुछ भी नही किया गया है। भगवंत मान को सही रिपोर्ट कार्ड का विवरण देते हुए अकाली नेता ने कहा पिछले सत्तर सालों में किसी भी मुख्यमंत्री ने संघवाद की भावना को तबाह नही किया जैसा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया है, जिन्होने न तो बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार के खिलाफ आवाज उठाई, जो चंडीगढ़ पर राज्य के अधिकार की रक्षा करने में विफल रहे हैं’’। उन्होने कहा कि इसी तरह पंजाब में किसी भी मुख्यमंत्री ने पिछले 70 सालो ंमें किसी अन्य राज्य के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर अपने राज्य की सभी शक्तियां दूसरे राज्य को नही सौंपी है। उन्होने कहा,‘‘ किसी भी मुख्यमंत्री ने देश भर में एक अन्य मुख्यमंत्री (अरविंद केजरीवाल) के हितों को आगे बढ़ाने के लिए 750 करोड़ रूपये के जनसंपर्क बजट का उपयोग नही किया है। किसी भी मुख्यमंत्री ने ने एक साल में 42 हजार करोड़ रूपये का कर्ज लेने का संदिग्ध गौरव हासिल नही किया है। डाॅ. चीमा ने कहा कि नैतिकता कभी भी इतनी नीचे नही पहुंची कि जितनी एक आप पार्टी के विधायक और उसके पिता के सेक्स रैकेट तथा जबरन वसूली में लिप्त हैं।