
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान अमित एव अरुण कुमार से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ के उपरांत आए हुए मां भक्तों को भजनों और प्रवचनों से निहाल करते हुए सच्ची भक्ति के बारे में ब्याख्यान करते है कि श्रीकृष्ण के वैसे तो कई मित्र थे, लेकिन सुदामा और कृष्ण के मित्रता की मिसाल आज भी दी जाती है। इसका कारण यह भी है कि धन-दौलत, रंग-रूप और भेद-भाव से परे कृष्ण-सुदामा की घनिष्ठ मित्रता का गुणगान किया जाता है। बाल्यावस्था में कृष्ण और सुदामा एक साथ एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन बाद में श्रीकृष्ण द्वारकाधीश बने और सुदामा को अत्यंत निर्धनता में जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था।
लेकिन श्रीकृष्ण ने सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदले तीन लोक का स्वामी बना दिया। सुदामा की संपत्ति देख यमराज अपना बहीखाता लेकर द्वारका पहुंचे और श्रीकृष्ण को नियम-कानून का पाठ पढ़ाने लगे।
यमराज भगवान को अपना बहीखाता दिखाते हुए कहते हैं कि सुदामा जी के भाग्य में ‘श्रीक्षय’ है, लेकिन बहीखाता देख यमराज भी चकित रह जाते हैं। सुदामा के भाग्य वाले स्थान पर *‘श्रीक्षय’ की जगह ‘यक्षश्री’* लिखा होता है। दरअसल खुद भगवान कृष्ण अपनी लीलाओं से अक्षर को बदलकर श्रीक्षय से यक्षश्री कर देते हैं। यक्षश्री यानी कुबेर की संपत्ति!
इसके बाद श्रीकृष्ण यमराज से कहते हैं- यमराज जी! शायद आप नहीं जानते कि सुदामा ने मुझे अपना सर्वस्व अपर्ण कर दिया था।। मैंने सुदामा के केवल उसी का प्रतिफल उसे दिया है।
यमराज आश्चर्य होकर कहते हैं- सुदामा जी ने ऐसी कौन सी संपत्ति आपको दे दी। उनके पास तो कुछ भी नही।
भगवान बोले- सुदामा ने अपनी कुल पूंजी के रूप में मुझे प्रेम स्वरूप चावल अर्पण किये थे, जिसे मैंने और देवी लक्ष्मी ने बड़े प्रेम से खाए, जो मुझे प्रेम पूर्वक कुछ भी खिलाता है उसे सम्पूर्ण विश्व को भोजन कराने जितने पुण्यफल की प्राप्ति होती है। ठीक इसी तरह का प्रतिफल मैंने सुदामा को भी दिया है।
नवजीत भारद्वाज जी इस प्रसंग द्वारा श्रद्धालुओं को समझाते हुए कहते है कि भगवान को सच्ची भक्ति और अनन्य प्रेम चाहिए। जब भक्त भगवान से सच्चा प्रेम करता है और अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर देता है, तो भगवान भी अपने भक्त को पूरी तरह से समर्पित हो जाते हैं।
इस अवसर पर अनु , मुकेश, राकेश प्रभाकर,पूनम प्रभाकर ,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा, अमृतपाल, प्रदीप , दिनेश सेठ,सौरभ भाटिया,विवेक अग्रवाल, जानू थापर,दिनेश चौधरी,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी, कमलजीत,बावा खन्ना, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह,विनोद खन्ना, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, परमजीत सिंह, दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।