तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन (फाइल फोटो)

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम पर पुनर्विचार करने के लिए पत्र लिखा है. इससे एक दिन पहले स्टालिन ने विधानसभा में कहा था कि वे इस विषय पर पीएम मोदी को पत्र लिखेंगेस्टालिन ने अपने पत्र में कहा, केंद्र ऐसे फैसले राज्यों और यहां तक की इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के हितधारकों के साथ विचार विमर्श के बाद ले सकता है. स्टालिन ने केंद्र से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करने के फैसले पर भी पुनर्विचार करने की अपील की और कहा कि ये उपक्रम देश के औद्योगीकरण और आत्मनिर्भरता लक्ष्यों में अहम भूमिका निभाते हैं. स्टालिन ने लिखा, केंद्र सरकार ‘निजीकरण’ को जो भी नाम दे, लेकिन इस कदम से सार्वजनिक संपत्तियां कॉरपोरेट घरानों या कुछ समूहों के हाथ में चली जाएंगी. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों पर आम जनता का अधिकार है, क्यों कि राज्यों और जनता ने इसके लिए जमीन दी है, ताकि इनका विकास हो सके. केद्र की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह छोटे और मझोले उद्योगों और वहां काम कर रहे कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा.राज्य के उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर चर्चा के दौरान विधानसभा में कहा था कि केंद्र सरकार को इस तरह के मुद्दों पर राज्य सरकार से परामर्श करना चाहिए क्योंकि राज्य ही सार्वजनिक संपत्तियों को बनाने के लिए आवश्यक भूमि देते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया था कि तमिलनाडु सरकार ने सेलम में स्टील प्लांट के लिए काफी बड़ी जमीन दी है.  उन्होंने कहा था कि अगर केंद्र इसी तरह से निजीकरण करेगी, तो डीएमके इसका विरोध करेगी.

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