अदालत ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए कहा कि वे महिला या छोटे बच्चों की मां होने के नाते कोई सहानुभूति की हकदार नहीं हैं. तीनों बायकूला महिला जेल में बंद हैं. वही उच्च न्यायालय में दाखिल जमानत याचिका में तीनों महिलाओं ने विशेष अदालत के जमानत नहीं देने के फैसले पर सवाल उठाये हैं. बिंदु और राधा कपूर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि गिरफ्तारी और हिरासत की आवश्यकता केवल विशेष परिस्थितियों में होती है, जहां आरोपी के फरार होने की संभावना हो.
जांच एजेंसी की तरफ से पेश वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क देते हुए कहा कि विशेष अदालत केवल आरोपियों की सुनवाई के लिए उपस्थिति सुनिश्चित कर रही थी. यही वजह है कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया. इसके बदले, डीएचएफएल ने कथित रूप से 900 करोड़ रुपये की रिश्वत कपूर को कर्ज के रूप में दी. यह कर्ज कपूर की पत्नी और उनकी बेटियों के नियंत्रण वाली कंपनी डूइट अरबन वेंचर्स को दिया गया.