नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच की याचिका पर आज सुनवाई हुई. CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने ये सुनवाई की. अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी. सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि गवाहों के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए ? यूपी सरकार – कुछ गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने कराए गए हैं, कुछ बाकी हैं. यूपी सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए हैं. इनमें से 23 चश्मदीद गवाह बताए गए हैं. CJI ने कहा कि मामला ये है कि वहां पर बड़े पैमाने पर किसानों की रैली चल रही थी, क्या सिर्फ 23 चश्मदीद मिले? यूपी सरकार की ओर से साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर यह मांगा है कि जो चश्मदीद गवाह हैं, वो सामने आएं, जिन्होंने कार में असल में लोगों को देखा था. हमने घटना के सभी मोबाइल वीडियो और वीडियोग्राफी पर भी ध्यान दिया है
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वहां पर चार- पांच हजार लोग थे, जो लोकल थे . साल्वे ने जवाब दिया कि ज्यादातर लोकल थे, लेकिन बाहरी भी थे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि घटना के बाद भी बड़ी संख्या में लोग थे जो जांच की मांग कर रहे थे. इस पर साल्वे बोले- यहां सवाल चश्मदीदों का है. CJI ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि इन मामलों में हमेशा एक संभावना होती है. साल्वे ने कहा कि हम समझ रहे हैं. CJI ने कहा अपनी एजेंसी से यह देखने के लिए कहें कि घटना के बारे में बात करने वाले 23 लोगों के अलावा और कितने लोग हैं, जिन्होंने घटना देखी. साल्वे ने पूछा कि क्या हम आपको सीलबंद लिफाफे में गवाहों के कुछ दर्ज बयानों के बारे में दिखा सकते हैं?
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन चार हजार लोगों में से कई शायद सिर्फ देखने आए थे, लेकिन कुछ लोगों ने चीजों को गंभीरता से देखा होगा और वो गवाही देने में सक्षम हो सकते हैं. साल्वे ने कहा कि गवाह और भी होंगे जो आरोपियों की पहचान कर सकते हैं. CJI ने कहा कि क्या इन 23 चश्मदीद गवाहों में से कोई घायल हुआ है? साल्वे ने कहा -नहीं. दुर्भाग्य से जिन लोगों को चोटें आईं, उनकी बाद में मौत हो गई.
सुप्रीम कोर्ट ने मारे गए पत्रकार और एक आरोपी के परिवार की शिकायत पर भी यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इन शिकायतों पर भी अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर सवाल उठाए थे. अदालत ने कहा था कि ये कभी ना खत्म होने वाली कहानी नहीं होनी चाहिए. हमें लगता है कि आप अपने पैर खींच रहे हैं. आप इस धारणा को दूर करें. कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों को तीन दिन के लिए ही पुलिस हिरासत में क्यों लिया गया. साथ ही न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने मामले में बाकी गवाहों के बयान दर्ज करने को कहा था और संवेदनशील गवाहों की पहचान कर उन्हें सुरक्षा देने को भी कहा था. कोर्ट ने इसके बाद मामले में सुनवाई 26 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी