संगरूर :- भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा रहे स्वतंत्रता सेनानी गुरदेव सिंह (94) ने रविवार को राष्ट्रपति अवार्ड लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘72 साल हो गए किसे ने सार नहीं लई, दवाई तक नहीं दित्ती। हुण मैं सनमान दा की करणा है। मैंनू नहीं चाहिदा।’
करीब आधे घंटे तक प्रशासनिक अधिकारी स्वतंत्रता सेनानी की मिन्नतें करते रहे। इसके बाद गुरदेव सिंह अवार्ड लेने के लिए मान गए। उन्होंने कहा कि ‘मैं दुखी मन नाल ऐह सम्मान ले रहया हां, घर आए लोकां दा निरादर नहीं कर सकदा।’ रविवार को एडीसी अनमोल सिंह धालीवाल समेत अन्य अधिकारी, गुरदेव सिंह के सुनाम स्थित निवास स्थान पर अवार्ड देने पहुंचे थे।
बता दें कि गुरदेव सिंह ने देश की आजादी के लिए 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। इस आंदोलन से संबंधित पंजाब के 9 स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रपति अवार्ड के लिए चयनित किया गया है और इन्हीं में गुरदेव सिंह शामिल हैं। कोरोना की वजह से राष्ट्रपति भवन में समारोह नहीं हो सका है। इसी कारण गुरदेव सिंह के घर तक सम्मान पहुंचाने का फैसला किया गया।
एडीसी अनमोल सिंह धालीवाल और कांग्रेस की प्रवक्ता दामन बाजवा सम्मान देने पहुंचे लेकिन गुरदेव सिंह ने आजादी के बाद के हालात पर नाराजगी जताई। उनके बेटे ने भी अब तक की सरकारों के प्रति रोष जताया। करीब आधे घंटे तक एडीसी धालीवाल गुरदेव सिंह को मनाते रहे और अंतत: सम्मान लेने के लिए राजी कर लिया। इस मौके पर मौजूद स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष हरिंदरपाल सिंह खालसा ने भी कई मांगें उठाई। एडीसी और दामन बाजवा ने भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें पूरी करने के लिए सीएम से बात की जाएगी।