
हंस राज महिला महा विद्यालय ने 1 सितम्बर 2025 से एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग अकादमी (ATAL) प्रायोजित “सस्टेनेबल इनोवेटिव प्रैक्टिसेस फॉर ए बेटर फ्यूचर” विषय पर छह दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) की शुरुआत की।कार्यक्रम का शुभारंभ वर्चुअल “ज्योति प्रज्वलन” प्रार्थना और आत्मीय “DAV गान” से हुआ।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. श्रीमती अजय सरीन ने सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाएँ दीं। एफ़.डी.पी. की को-ऑर्डिनेटर डॉ. गगनदीप ने कार्यक्रम का कॉन्सेप्ट नोट प्रस्तुत किया।सह-समन्वयक डॉ. सीमा खन्ना ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और समय-सारणी पर विस्तृत जानकारी दी।उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अंजना भाटिया (आईक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर और विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर वनस्पति शास्त्र विभाग) ने किया।
दिन की इंचार्ज डॉ. काजल पुरी ने सम्माननीय संसाधन व्यक्ति प्रो. आसिफ एम. खान, प्रोफेसर और एसोसिएट डीन, यूनिवर्सिटी ऑफ दोहा फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी का परिचय दिया। उन्होंने “एआई एंड मशीन लर्निंग फॉर सस्टेनेबिलिटी” विषय पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
प्रो. खान ने प्रमुख विषयों पर प्रकाश डाला, जैसे: बदलाव का युग, तकनीकी क्रांति, जलवायु परिवर्तन, वैश्वीकरण, भू-राजनीति, जनसांख्यिकीय बदलाव, बिग डेटा, बायोइन्फॉर्मेटिक्स, इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन 4.0 और सोसाइटी 5.0, इन सबको स्थिरता की अवधारणा से जोड़ते हुए।
दूसरे सत्र में डॉ. अभिषेक ओझा ने “सस्टेनेबल फाइनेंस एंड इनोवेशन: ड्राइविंग ए रेजिलिएंट एंड प्रॉस्पेरस फ्यूचर” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने निवेश निर्णयों में पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) कारकों को शामिल करने के महत्व पर बल दिया।
डॉ. ओझा ने भारत में सतत वित्त के प्रमुख कारकों पर प्रकाश डाला, जैसे- कॉरपोरेट जागरूकता, वित्तीय साधनों में नवाचार, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों के प्रति बढ़ती जागरूकता और पारदर्शिता की आवश्यकता। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन फाइनेंस, स्वच्छ गतिशीलता, सतत निवेश और ब्लेंडेड फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में चुनौतियों और अवसरों पर भी चर्चा की।
दोनों सत्रों ने तकनीक और स्थिरता के बीच संबंधों की मूल्यवान झलकियाँ प्रस्तुत कीं, जिससे प्रतिभागियों को यह समझने में मदद मिली कि एआई और मशीन लर्निंग स्थायी प्रथाओं को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य संकाय सदस्यों को ऐसे ज्ञान और कौशल से सुसज्जित करना है जिससे वे अपने शिक्षण और शोध में स्थायी प्रथाओं को सम्मिलित कर सकें।
लगभग 150 प्रतिभागियों ने इस एफ.डी.पी. में भाग लिया और चर्चाओं में सक्रिय योगदान देकर सत्रों को और अधिक रोचक एवं जीवंत बनाया।
ऑनलाइन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित करने हेतु डॉ. हरप्रीत सिंह (विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर बायोइन्फॉर्मेटिक्स विभाग), श्री प्रदीप मेहता (सहायक प्रोफेसर) और श्री अरविंद चांदी (तकनीकी सहायक) के सराहनीय प्रयास रहे।