*पर्यावरण मूर्ति भगवान् शिव* यह समस्त विश्व विश्वनाथ की रचना है। जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश, चन्द्र, सूर्य, यजमान / आत्मा इस प्रकार आठ प्रत्यक्ष रूपों में भगवान् शिव सबको दिखाई देते हैं। भारतीय दृष्टि से विश्वमूर्ति समस्त जीव जगत् तथा इसका पोषण- संवर्धन करने वाले प्राकृतिक तत्त्व शिव का प्रत्यक्ष शरीर है। इस प्रकार समस्त चेतन – अचेतन प्राणियों के शिव पिता हैं। जैसे पुत्र-पुत्रियों का भला करने वाले पर पिता प्रसन्न होते हैं। वैसे ही पर्यावरण के उपरोक्त घटकों को हानि से बचाने वाले, प्रदूषणमुक्त एवं पोषण देने वालों पर भगवान् शंकर प्रसन्न होते है। यदि कोई भी मनुष्य इन आठ मूर्तियों में से किसी का भी अनिष्ट करता है तो वह वास्तव में भगवान शंकर का ही अनिष्ट कर रहा है ।

* प्लास्टिक कचरे से पंच तत्त्वों को हानियां

1.जल प्रदूषण- खुले में फेंका गया प्लास्टिक बारिश के पानी के साथ बहकर नदियों और झीलों में चला जाता है, जिससे पानी दूषित हो जाता है। प्लास्टिक कचरा सीवरेज निकासी में बाधा बनता है । धरती पर फैले माइक्रोप्लाटिक वर्षा के पानी के धरती में रिसाव में रुकावट बनते हैं। फलस्वरूप जलस्तर कम हो रहा है।

2. ज़मीन का प्रदूषण- खेतों में प्लास्टिक कचरे के बढ़ने से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है और फसलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुतुबमीनार जैसे कचरे के ढेरों का मूल घटक प्लास्टिक ही है। कचरे के ढेर अपने शहरों और देश की शोभा भी कम करते हैं।

3. वायु प्रदूषण- प्लास्टिक रूपी राक्षस सैकड़ों वर्षों तक गलता नहीं जलाने पर वायु प्रदूषित करता है। हमारी जीवन शैली में कचरा प्रबंधन नहीं है। अक्सर प्लास्टिक कचरे को जला दिया जाता है, जिससे हवा में जहरीले पदार्थ घुल जाते हैं। हर साल लाखों लोग खराब वायु गुणवत्ता के कारण अपनी जान गंवाते हैं और लाखों लोग आजीवन स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों से पीड़ित रहते हैं। दुनिया में 90% से ज़्यादा लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं ।

4. जीव-जंतुओं की मौतों का कारण समुद्रों में बहकर जाने वाला प्लास्टिक कचरा समुद्री जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। हजारों मछलियाँ, कछुए, गाय और पक्षी प्लास्टिक को गलती से भोजन समझकर निगल लेते हैं। जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
[13/02, 14:14] Nitin Paji: 7. दीर्घकालिक प्रभाव: आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की थालियों का उपयोग वर्षों तक किया जाए जिससे वर्षों तक कचरा और डिस्पोजेबल बर्तनों का खर्च कम होता रहेगा।

8. सांस्कृतिक बदलाव: इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए “बर्तन बैंकों” के विचार समाज में स्वस्थ परम्पराओं को बढ़ावा देगा ।

को प्रोत्साहित किया

इस जागरूकता अभियान का वास्तविक उद्देश्य देश को प्लास्टिक मुक्त व कैंसर मुक्त बनाना है। स्वच्छ स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण के लिए स्थानीय गणमान्य व संत समाज के मार्गदर्शन में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों से सम्पर्क कर अपील की जा रही है कि वे महाशिवरात्रि महोत्सव पर लगने वाले लंगरों के डिस्पोजेबल प्रयोग न करें और प्रसाद को स्टील प्लेट में ही वितरित करें । इसका प्रतिसाद काफी उत्साहव

*हरित महाशिवरात्रि *

रहा है।

* अपील- आओ ! महाशिवरात्रि महोत्सव पर बर्तन बैंक बनाने का संकल्प लेकर देश को प्लास्टिक व कैंसर बनाएं*
[13/02, 14:14] Nitin Paji: 1)रणजीत आर्य जी उपाध्यक्ष आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब

2)कृष्ण लाल महाजन जी महाजन सभा अध्यक्ष

3) मनीष गुप्ता जी गदाईपुर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन अध्यक्ष 4) विपन सबरवाल जी अध्यक्ष बाल्मीकि आश्रम

5) *जगजीत सिंह गाबा जी

गुरुद्वारा सिंह सभा जीटीबी नगर*

6) श्री जेबी सिंह लायंस क्लब के एक्स गवर्नर

7) ऋषि अरोड़ा जी अध्यक्ष अरोड़ा एवं खत्री समाज

8) नंदलाल वैद जी अध्यक्ष जी के वाली जी उपाध्यक्ष मोहयाल सभा जालांक

9) *श्री प्रमोद बंसल जी अध्यक्ष राम मंदिर छोटी अयोध्या गुरु गौ 10) परवीन जी संयोजक हरियावल पंजाब पंजाब

11) प्रदुमन सिंह जी अध्यक्ष हरियावल पंजाब

12) श्री प्रीतपाल सिंह आर्ट ऑफ लिविंग के राज्य समन्वयक

13) रोशन लाल जी हरबैक बाबा ग्रीन मऊ

14 अजय वैद

15 डॉ. अमित शर्मा
[13/02, 14:14] Nitin Paji: 5. स्वास्थ्य पर प्रभाव – प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक रसायन पानी और भोजन में मिलकर कैंसर, हार्मोन असंतुलन और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं। प्लास्टिक की प्लेटों, कटोरियाँ, ग्लासों में जैसे ही गर्म वस्तु डालते हैं, वह कैंसरकार्क बन जाती है। डिस्पोजेबल बर्तनों में भोजन देना और लेना दोनों ही पाप हैं।

“एक थैला एक थाली अभियान एक सफल प्रयोग*

प्रयागराज महाकुंभ 2025 को हरित, पवित्र और स्वच्छ कुंभ बनाने हेतु

एक थैला एक थाली अभियान की योजना और क्रियान्वयन पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा किया गया। पूरे देश से लोगों से कपड़े के थैले और थालियां इकट्ठी कर प्रयागराज महाकुम्भ में भेजी गईं। ताकि वहां प्लास्टिक का कचरा कम किया जा सकै। एक अनुमान लगाया गया कि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 120ग्राम प्लास्टिक कचरा पैदा करें तो एक करोड़ श्रद्धालु 1200टन कचरा एक दिन में पैदा करेंगे।

परिणाम- प्रयागराज महाकुंभ के भंडारों में स्टील की थालियां 1025लाख, कपड़े के थैले 13 लाख, स्टील के गिलास 2.5 लाख निःशुल्क वितरित किए गए।

उपलब्धियां:

1. पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश घर घर तक पहुंचा। देशव्यापी अभियान में लाखों परिवारों की सहभागिता से हरित कुंभ अभियान सफल हुआ। परिवारों तक पर्यावरणीय स्वच्छता का संदेश प्रभावी रूप से पहुंचा। वे अपनी स्थानीय नदियों, झीलों, जल स्रोतों की स्वच्छता हेतु प्रेरित हुए।

2. डिस्पोजेबल कचरे में कमी: महाकुंभ में डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों (पत्तल-दोना) का उपयोग 8085% तक कम हुआ।

3. कचरे में कमी: कचरे उत्पादन में लगभग 29,000 टन की कमी आई, जबकि अनुमानित कुल अपशिष्ट 40,00 टन से अधिक हो सकता था।

4. लागत बचत: डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों पर प्रतिदिन 3.5 करोड़ रु. की बचत हुई।

5. झूठन में कमी: थालियों को पुनः धोकर काम में लिया जा रहा है। भोजन परोसते समय संदेश दिया जा रहा भोजन उतना ही लो थाली में, व्यर्थ ना जाए नाली में “। इससे भोजन की झूठन में 70% कमी आई है।

6. लंगर कमेटियों के लिए बचत: स्टील के बर्तन निः ःशुल्क मिलने से अखाड़ों, भंडारा कमेटियों को महत्वपूर्ण हुई। अन्यथा डिस्पोजेबल बर्तनों पर लाखों रुपया खर्च करते ।

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