
नई दिल्ली: GST Council की 56वीं बैठक में लिया गया एक बड़ा फैसला आम जनता को सीधी राहत देता नजर आया। काउंसिल ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर अब तक लगने वाले 18% वस्तु एवं सेवा कर को पूरी तरह खत्म करने का ऐलान किया है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी, जो नवरात्रि के पहले दिन से प्रभावी मानी जा रही है। हालांकि यह सुनकर लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब बीमा लेना सस्ता हो जाएगा, लेकिन विशेषज्ञों की ताजा रिपोर्ट इससे बिल्कुल उलट संकेत दे रही है। एक तरफ यह निर्णय पहली नजर में आम जनता के लिए फायदे का सौदा लग रहा है, वहीं दूसरी ओर कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। रिपोर्ट का कहना है कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर GST हटने के बावजूद उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना बेहद कम है। बल्कि, बीमा कंपनियां प्रीमियम में 3% से 5% तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं।अब तक बीमा कंपनियां एजेंट का कमीशन, मार्केटिंग खर्च, पुनर्बीमा और अन्य परिचालन लागतों पर जीएसटी का भुगतान करती थीं और इसके बदले इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेती थीं। लेकिन जब बीमा सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा, तो कंपनियां ITC का फायदा नहीं उठा पाएंगी। इससे उनके खर्चे तो बने रहेंगे, लेकिन टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने से कुल लागत बढ़ जाएगी।