जम्मू-कश्मीर : एंटी करप्शन ब्यूरो ने रविवार को 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा के कथित लोन घोटाले के मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की।  यह एफआईआर शनिवार को जम्मू एंड कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद शेख, राइस एक्सपोर्ट्स इंडिया (REI) एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन संजय झुनझुनवाला और 22 अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी।

एफआईआर दर्ज किए जाने के तुरंत बाद एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने 16 जगहों पर आरोपियों के निवास स्थानों पर छापे मारे। इनमें REI एग्रो के वाइस प्रेसिडेंट और एमडी संदीप झुनझुनवाला भी शामिल हैं। ये तलाशी अभियान कश्मीर घाटी में 9 जगहों पर, जम्मू और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में तीन जगह पर चलाए गए।

एसीबी की प्रेस रिलीज के मुताबिक, बैंक के मुंबई स्थित माहिम ब्रांच और दिल्ली की एक शाखा के अधिकारियों ने 2011-2013 के बीच कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक के कायदों का उल्लंघन करते हुए आरईआई एग्रो लिमिटेड को 800 करोड़ रुपये का लोन जारी कर दिया। इन खातों को बाद में 2014 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) घोषित कर दिया गया। इस वजह से बैंक को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। बता दें कि अगर लोन के तौर पर फंसी हुई रकम और ब्याज मिलाकर देखें तो यह राशि करीब  1124.45 करोड़ रुपये बैठती है।

एसीबी की रिलीज के मुताबिक, जांच में सामने आया कि आरईआई एग्रो ने माहिम ब्रांच से संपर्क किया और उसे 550 करोड़ रुपये का लोन या एडवांस दिया गया। वहीं, बैंक के दिल्ली स्थित वसंत विहार ब्रांच ने 139 करोड़ रुपये कंपनी को जारी किए। कंपनी ने किसानों की फसल का भुगतान करने के लिए बैंक से ये रकम मांगी थी।

एसीबी के मुताबिक, इसके बाद आरोपी बैंक अधिकारियों ने आरईआई एग्रो को जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप्स (गांववालों का छोटा समूह जो संस्थागत लोन के लिए बैंक से संपर्क करता है) के जरिए लोन जारी कर दिए। हालांकि,  कंपनी को फसल मिल गई थी और वो ऐसे रकम पाने की हकदार नहीं थी। बाद में में इन जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप्स (JLG) सिर्फ कागजों पर निकले जिनके बारे में बैंक ने सही ढंग से पुष्टि पहीं की। एसीबी के मुताबिक, ऐसा करने का मकसद कंपनी को लोन की रकम का अपने फायदे में इस्तेमाल करने में मदद करना था।

एसीबी की रिलीज के मुताबिक, बैंक ने NABARD के नियमों का भी उल्लंघन किया, जिसमें JLG सदस्यों का एक ही इलाके या गांव का होना जरूरी है। एसीबी के मुताबिक, बैंक अधिकारियों ने जानबूझकर और गलत इरादों से इन पहलुओं को नजरअंदाज किया। इस बात के भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिले कि लोन के दस्तावेज किसने तैयार किए। संबंधित कानून विभाग से भी कोई प्रमाणपत्र नहीं लिए गए।

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