पंजाब में सियासी मुद्दा बन चुके प्राइवेट थर्मल और सोलर प्लांटों से किए बिजली समझौते रद्द हो सकते हैं। पंजाब सरकार 8 नवंबर को बुलाए स्पेशल विधानसभा सेशन में यह प्रस्ताव ला सकती है। अफसर इसकी तैयारी कर रहे हैं। सरकार सस्ती और पर्याप्त बिजली का विकल्प भी ढूंढ रही है। इसको लेकर शुक्रवार को ही सरकार से 500MW बिजली खरीद के टेंडर निकाले हैं। जिसमें सरकार को 2.33 रुपए से 2.69 रुपए प्रति किलोवाट के कम रेट ऑफर हुए हैं।सूत्रों की मानें तो पावर परचेज एग्रीमेंट यानी बिजली समझौते रद्द करने के बारे में CM चरणजीत चन्नी ने अपने दो मंत्रियों के साथ पावरकॉम के अफसरों से मीटिंग की है। जिसमें कानून माहिर भी बुलाए गए थे। बिजली समझौते के मुद्दे पर सरकार किसी कानूनी लड़ाई में न फंसे, इसके लिए देश के कुछ टॉप लीगल एक्सपर्ट से भी सरकार ने बात की है।पंजाब सरकार इस मामले में बीच का रास्ता भी निकाल सकती है। पंजाब विस में लाए जा रहे बिल में थर्मल और सोलर प्लांटों को मौका भी दिया जाएगा। इसे टर्मिनेशन और रीनेगोशिएशन से जोड़ा गया है। अगर कोई प्लांट समझौते रद्द न कराना चाहे तो वो रेट को लेकर सरकार से रीनेगोशिएट कर सकता है।पंजाब में कांग्रेस का सीएम बदलते ही चरणजीत चन्नी ने 1200 करोड़ के बिजली बिल माफ कर दिए। यह बिल 2 किलोवाट तक के कनेक्शन के थे। जिनका बिल बकाया खड़ा था। हालांकि तब सवाल उठा कि जिन लोगों ने ईमानदारी से पूरा बिल भरा, उन्हें सरकार ने क्या दिया?। अमरिंदर की कुर्सी जाने का बड़ा मुद्दा बिजली समझौते और महंगी बिजली भी थे। जिसको लेकर सरकार दबाव में थी। इस वजह से सभी को सस्ती बिजली देने के दांव पर काम किया जा रहा हैपंजाब सरकार ने कुछ दिन पहले सर्वदलीय मीटिंग की थी। जिसमें तय हुआकि BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के साथ कृषि कानून रद्द करने के लिए 8 नवंबर को स्पेशल विस सेशन बुलाया जाएगा। इसके बाद पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने इसमें बिजली समझौते रद्द करने का भी मुद्दा उठाया दिया। कुछ दिन पहले दिल्ली में भी सिद्धू ने हाईकमान से यह मुद्दा उठाया।
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