
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्टाफ क्लब ग्राउंड नज़दीक सीनियर सेकेंडरी स्कूल (बॉयस) नंगल,रूपनगर में किया गया। श्रीमद्भागवत कथा के
तीसरे दिन श्री गुरु आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने राजा अमरीश व भक्त
प्रह्लाद की गाथा का व्याख्यान करते हुए बताया कि भक्त ने ईश्वर भक्ति के सन्मुख अपने पिता हिरण्यकशिपु द्वारा दिए जाने वाले नाना प्रकार की यातनाओं की परवाह नहीं की तथा कोई भी प्रलोभन एवं बाधा उसे भक्ति-मार्ग से विचलित नहीं कर पायी। उसे मारने की हिरण्यकशिपु ने हर संभव कोशिश की। साध्वी जी ने बताया कि मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भी भक्त घबराता नहीं, धैर्य नहीं छोड़ता! क्योंकि भक्त चिन्ता नहीं सदा चिन्तन करता है और जो ईश्वर का चिन्तन करता है वह स्वत: ही चिन्ता से मुक्त हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्गवद्गीता में कहते हैं –
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहा यहा।।
अर्थात् जो भक्त ईश्वर को अनन्य भाव से भजते हैं उसका योगक्षेम स्वयं भगवान वहन करते हैं परंतु ईश्वर का चिन्तन तभी होगा जब हमारे अन्दर उनके प्रति भाव होंगे। आज कितने ही लोग ईश्वर को पुकार रहे हैं किंतु वह प्रकट क्यों नहीं होता? राजा अंबरीश को श्राप से कैसे बचाया ,द्रौपदी की ही लाज क्यों बचाई, प्रहलाद की रक्षा क्यों हुई, संत मीरा या कबीर जी की तरह वह हमारी रक्षा क्यों नहीं करता?
इसका कारण यह है कि हमने ईश्वर को देखा नहीं, जाना नहीं, उनकी शरणागति प्राप्त नहीं की। इसलिए हमारा प्रेम ईश्वर से नहीं हो पाया। भले ही हमने भक्ति के नाम पर बहुत कुछ किया। प्रह्लाद ने नारद जी की कृपा से परमात्मा को अंतर्घट में जाना था, जिससे उनका ईश्वर पर दृढ़ विश्वास था। इसलिए इतने कष्टों के आने पर भी वे नहीं घबराए और उनके विश्वास और प्रेम की लाज रखने के लिए ही श्रीहरि को स्वयं बार-बार आकर उनकी रक्षा करनी पड़ी और अंतत: नरसिंह अवतार लेना पड़ा।
इसलिए यदि हम चाहते हैं कि जिस प्रकार प्रभु ने प्रह्लाद की रक्षा की, उसी प्रकार हमारी भी रक्षा हो तो हमें भी नारद जी के समान तत्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष की शरण में जाकर उनकी कृपा से ईश्वर के तत्व स्वरूप का दर्शन कर उनके मार्ग-दर्शन में चलना होगा। तभी हम भी उन भक्तों के समान प्रभु के प्रिय बन जाएंगे और वे हमारी भी रक्षा करेंगे।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एक विलक्षण व अद्भुत कार्यक्रम है। वर्तमान समाज की मुख्यधारा में रहते हुए भी वैदिक कालीन जीवनशैली से युक्त सेवादार व कार्यकर्ता कथा प्रांगण में अपनी-2 सेवाओं में संलग्न दिखते हैं। मंच पर आसीन युवा साध्वियों को भक्ति रचनाओं का गायन करते देख ऐसा प्रतीत होता है मानो भारत पुन: ट्टषियों की भूमि बन गया हो। कथा को श्री आरती के साथ विश्राम दिया गया।आरती में विशेष रूप में के.के सूद, रेणु सूद, आर.एन.शर्मा, चंदन बाला, विजय धीर, किरण धीर, प्रमोद शर्मा सुरेखा शर्मा, प्रो. पी.के.मदान,सुरेश शास्त्री जी,अमर नाथ शर्मा जी, नंद किशोर शर्मा जी,गिरीश जसवानी, पूनम
शिव कुमार बाली अपनी
पत्नी सहित,बलबीर सिंह राणा, सुनीता राणा, प्रताप सैनी,
हरबिंदर सिंह बिंद्रा,
जंग बहादुर, सीमा बजाज,डॉ. प्रदीप गुलाटी परिवार,
करण चौधरी, उर्वशी,
विकास सोनी अपनी पत्नी सहित, अशोक मनोचा,
हुसन लाल कामोज,
हरजोत सिंह वालिया। एक्सईएन, वरिंदर शर्मा, संजीव शर्मा, दीपक सिहोर,अमरनाथ शर्मा, राकेश शर्मा (पम्मी), संजय भल्ला, शोभा राणा
इंजीनियर बृज मोहन कौशल और भारी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित हुए।