
लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वुमेन, जालंधर में पंजाबी के विख्यात कवि पद्म श्री डॉ.सुरजीत पातर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक शोक सभा आयोजित की गई । पंजाबी जगत के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सुरजीत पातर का 79 वर्ष की सांसारिक यात्रा पूरी करने के बाद आज सुबह निधन हो गया। इस खबर से पूरे पंजाबी जगत में गहरी शोक की लहर फैल गई। वर्तमान में पंजाब कला परिषद, चंडीगढ़ के अध्यक्ष पद पर कार्यरत डॉ. पातर साहित्यिक गतिविधियों में लगातार सक्रिय रहे। जालंधर के पातर कलां गांव में जन्मे सुरजीत पातर ने साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, वह लंबे समय तक पंजाबी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। वह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में पंजाबी के प्रोफेसर भी थे। साहित्यिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों के साथ-साथ पद्मश्री जैसे सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित किया गया। डॉ. सुरजीत पातर के इस आकस्मिक निधन पर कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. नवजोत मैडम ने कहा कि वह एक ऐसे क्रांतिकारी कवि थे जिनके साहसिक विचार किसानों को प्रेरित करने वाले थे और जिन्होंने सबसे पहले आंदोलन के दौरान अपना पद्मश्री सम्मान लौटाने का फैसला किया। उनका इस तरह अचानक चले जाना पंजाबी साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है. कॉलेज पहुंची मैडम सरिता तिवारी ने भी डॉ. पातर को श्रद्धांजलि दी। पंजाबी विभाग की प्रमुख डॉ. अकाल अमृत कौर ने पंजाबी साहित्य के क्षेत्र में डॉ. सुरजीत पातर के बहुमूल्य योगदान पर अपने विचार पेश करते हुए अपनी अकीदत पेश की। इस शोक सभा में मौन रखा गया और कॉलेज के सभी शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया और अपने पसंदीदा कवि को श्रद्धांजलि दी।