the university whose history is linked to the fifth century

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (19 जून) बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। इस अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और 17 देशों के राजदूत भी मौजूद रहेंगे। नालंदा के खंडहरों को 2016 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा विरासत स्थल घोषित किए जाने के बाद 2017 में विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य की शुरुआत हुई थी।नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास पांचवीं सदी से जुड़ा है, जब इसकी स्थापना गुप्त राजवंश के शासक कुमार गुप्त प्रथम ने की थी। उस समय यह विश्वभर के छात्रों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में लगभग 10,000 छात्र और 1,500 शिक्षक थे। चीन, कोरिया और जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु यहां अध्ययन करने आते थे। सातवीं सदी में चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी यहां शिक्षा ग्रहण की थी। 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा इसे नष्ट कर दिया गया था, लेकिन इससे पहले यह लगभग 800 वर्षों तक ज्ञान का केंद्र बना रहा।नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर प्राचीन खंडहरों के पास स्थित है। इसे 2010 के नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है। इस अधिनियम के तहत 2007 में फिलीपींस में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय को लागू किया गया था। नया परिसर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। इसमें दो अकादमिक ब्लॉक हैं जिनमें 40 क्लासरूम हैं, और कुल 1,900 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है। यहां दो ऑडिटोरियम हैं, जिनमें 300 सीटें हैं, और एक इंटरनेशनल सेंटर तथा एम्फीथिएटर भी है, जिसमें 2,000 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सहित कई अन्य सुविधाएं भी हैं।नालंदा विश्वविद्यालय में 17 अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम की भागीदारी है। इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए 137 स्कॉलरशिप की व्यवस्था की है।नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर ‘NET ZERO’ परिसर है, जो पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों और शिक्षा को प्रोत्साहित करता है। यहां पानी को रिसाइकल करने के लिए प्लांट और 100 एकड़ की वॉटर बॉडीज जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। नालंदा विश्वविद्यालय का यह नया परिसर आधुनिक सुविधाओं के साथ ऐतिहासिक महत्व को संजोए हुए है, जो इसे एक अद्वितीय शैक्षिक संस्थान बनाता है।

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