
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने एक अहम निर्णय में कहा है कि एक महिला का पुरुष के साथ होटल का कमरा बुक करना और कमरे में जाना, इसका मतलब यह नहीं है कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी है। यह फैसला जज भारत पी देशपांडे ने सुनाया। कोर्ट ने मार्च 2021 में एक बलात्कार के मामले में ट्रायल कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें आरोपी के खिलाफ मामला बंद कर दिया गया था।बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि, “भले ही यह माना जाए कि महिला पुरुष के साथ होटल के कमरे में गई थी, लेकिन इसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति नहीं माना जा सकता।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि आरोपी और पीड़िता दोनों ने कमरे की बुकिंग में भाग लिया था, लेकिन यह किसी भी तरह शारीरिक संबंध की सहमति नहीं हो सकता। कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी को राहत देने के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि सिर्फ कमरे में जाने से बलात्कार की सहमति नहीं मानी जा सकती।आपको बता दें कि इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने यह दलील दी थी कि महिला ने आरोपी के साथ कमरे की बुकिंग की थी और उसी कमरे में गई थी, इसलिए यह मान लिया गया कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी थी। ट्रायल कोर्ट ने इसी आधार पर आरोपी गुलशेर अहमद के खिलाफ रेप के मामले को बंद कर दिया और आरोपी को डिस्चार्ज कर दिया था।हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए उसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि केवल कमरे में जाने से किसी महिला की शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला फिर से खोलने का आदेश दिया।