कन्या महाविद्यालय (स्वायत्त) हमेशा से विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने पर जोर देता रहा है, जो अनिवार्य रूप से कौशल विकास, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और नवाचारी सोच को प्रोत्साहित करती है। विशेष रूप से स्वायत्तता के अंतर्गत, महाविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी पहलुओं को लागू करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। इन प्रयासों की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने के.एम.वी. को ‘एनईपी सारथी’ के रूप में मान्यता दी है, ताकि यह संस्था नीति के उद्देश्यों को साकार करने हेतु विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर सके। उल्लेखनीय है कि के.एम.वी. ने नई शिक्षा नीति 2020 के लगभग सभी बिंदुओं को पहले ही सफलतापूर्वक लागू कर लिया है।इस संदर्भ में प्राचार्या प्रो. डॉ. आतिमा शर्मा द्विवेदी ने बताया कि यह शैक्षणिक संस्था 26 स्नातक पाठ्यक्रम, 21 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, 5 डिप्लोमा और 28 प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान कर रही है, जो इसके 34 समर्पित विभागों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। बहुविषयक दृष्टिकोण को अपनाते हुए, महाविद्यालय ने यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के विभिन्न सेमेस्टरों में 6 अनिवार्य अंतर-विषयी पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। इन पाठ्यक्रमों के लिए शोध को प्रोत्साहित करने हेतु बीज राशि भी उपलब्ध करवाई गई है। उच्च शिक्षा प्रणाली को लचीला बनाते हुए, यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों को क्रेडिट आधारित प्रणाली के अंतर्गत संचालित किया जाता है, जिसमें ‘मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम’ शामिल हैं। वर्ष 2021-22 से महाविद्यालय ने डिजीलॉकर और ‘अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ में पंजीकरण करवाया हुआ है, ताकि विद्यार्थियों के क्रेडिट्स का दस्तावेजी रिकॉर्ड और ट्रांसफर संभव हो सके। पाठ्यक्रम की संरचना इस प्रकार तैयार की गई है कि अधिगम परिणाम न केवल उच्च गुणवत्ता के मानदंडों पर खरे उतरते हैं, बल्कि स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तरों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखते हैं। प्रत्येक विभाग के लिए गठित ‘बोर्ड ऑफ स्टडीज’, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, औद्योगिक क्षेत्र के विशेषज्ञ और महाविद्यालय के पूर्व छात्र शामिल होते हैं, पाठ्यक्रम की पूर्ण रूपरेखा तैयार करते हैं। शिक्षा और रोजगार योग्यता को प्रोत्साहित करने के लिए, महाविद्यालय ने यूजीसी के अधीन ‘दीन दयाल उपाध्याय केंद्र’ (कौशल केंद्र) की स्थापना की, जो गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के अधीन यह मान्यता प्राप्त करने वाला पहला संस्थान बना। भारतीय भाषाओं और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए, महाविद्यालय ने ऑफलाइन और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान प्रणाली को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है। अध्यापक द्विभाषिक (अंग्रेज़ी और मातृभाषा) शैली में पढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से तैयार हैं। महाविद्यालय में संस्कृत, पंजाबी और हिंदी भाषाओं के विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। हिंदी और पंजाबी के विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त छात्रवृत्तियाँ और रियायतें भी प्रदान की जाती हैं। संस्कृत और भारतीय संस्कृति के अध्ययन हेतु, महाविद्यालय ने जेएनयू, नई दिल्ली के संस्कृत विभाग के साथ एमओयू भी साइन किया है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात करें तो, महाविद्यालय ने यूरोप, अमेरिका और इटली की प्रमुख विश्वविद्यालयों जैसे यूनिवर्सिटी ऑफ ईओट्वॉस लॉरेंड (हंगरी), बास्टन यूनिवर्सिटी, ई.एन.ई.ए. (इटली) और सी.ओ.ई. कॉलेज (यूएसए) के साथ समझौते किए हैं, जो छात्र और अध्यापक आदान-प्रदान, वर्चुअल टूर और व्याख्यान आदि में सहयोग करते हैं। प्राचार्या डॉ. आतिमा शर्मा द्विवेदी ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे ‘एनईपी सारथी’ के अंतर्गत आयोजित होने वाली गतिविधियों में पूरे उत्साह और जोश के साथ भाग लें।

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