
जालंधर: अद्वैत दर्शन से भारतवर्ष सहित संपूर्ण जगत को आलोकित करने वाले लुप्त हो रही वैदिक सनातन संस्कृति को भारत वर्ष की पुण्य भूमि पर पुन: स्थापित करने वाले तथा चार मठों की स्थापना कर सनातन संस्कृति को सूत्रबद्ध करने वाले जगतगुरु आद्य शंकराचार्य जी को उनकी पावन जयंती पर श्री सनातन धर्म समिति पंजाब की ओर से आज उनकी जन्म जयन्ती पर उन्हें स्मरण करते हुए एक संक्षिप्त कार्यक्रम प्रभात नगर स्थित दण्डी आश्रम में संचालक दण्डी स्वामी शिवबोधाश्रम जी का आशीर्वाद प्राप्त कर किया गया। इस अवसर पर दण्डी स्वामी जी ने कहा कि आदि शंकराचार्य जी ने ब्रह्म सूत्र भगवद् गीता तथा कई उपनिषदों पर अपने भाष्य लिखे और वल्लभाचार्य, निम्बार्काचार्य तथा रामानुजाचार्य जैसे महान संतों को उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर समिति के संस्थापक अध्यक्ष रविशंकर शर्मा ने कहा कि आधुनिक समय में वैदिक सनातन संस्कृति के उत्थान और हिंदू वैदिक सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का श्रेय आदि गुरु शंकराचार्य को दिया जाता है। श्री शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने अद्वैत दर्शन के प्रभाव से भारतीय संस्कृति तथा भारत राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया जो कि राष्ट्र की एकता का आधार बना। वेद-शास्त्रों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने देशभऱ की यात्रा की और जनमानस को हिंदू वैदिक सनातन धर्म तथा उसमें वर्णित संस्कारों के बारे में बताया। उनके दर्शन ने सनातन संस्कृति को एक नई पहचान दी और भारतवर्ष के कोने कोने तक उन्होंने लोगों को वेदों के अहम ज्ञान से अवगत कराया। इस अवसर पर श्री सनातन धर्म समिति जालंधर केन्द्रीय के संयोजक राहुल बाहरी तथा जालंधर उत्तर क्षेत्र के संयोजक रणदीप शर्मा उपस्थित हुए।