एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर में श्रीमती राजेश्वरी पॉल जी को उनकी 13वीं
पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी। इस अवसर पर एपीजे एजुकेशन
एवं एपीजे सत्याॅ एंड स्वर्ण ग्रुप की अध्यक्ष तथा एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर श्रीमती
सुषमा पॉल बर्लिया ने कहा कि श्रीमती राजेश्वरी पाॅल जी करूणा,दया एवं समर्पण की साक्षात
प्रतिमूर्ति थी;वह समय से बहुत आगे चलने वाली दृढ़ संकल्प महिला थी,ललित कलाओं
गायन,नृत्य में उनकी सिद्धहस्तता एवं जन-मन तक उसको पहुंचाने की ललक ने डॉ सत्यपाॅल जी
को राजेश्वरी कला संगम की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया था। आज वही राजेश्वरी कला
संगम एपीजे के वटवृक्ष के रूप में विभिन्न शाखाओं के माध्यम से जहां एक तरफ अपनी धरोहर
का संरक्षण करते हुए उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहा है वहां दूसरी तरफ आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र
में भी अग्रणी है। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा
कि जिस धरोहर को उन्होंने हमें सौंपा है उसका संरक्षण करते हुए अगर हम उसे युवा पीढ़ी तक

पहुंचाएंगे और उनको ललित कलाओं के विकास के साथ जोड़ेंगे तो वही हमारी उनके प्रति
वास्तविक श्रद्धांजलि होगी।उन्होंने कहा कि राजेश्वरी पॉल जी के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के दृढ़
निश्चय ने ही डॉ सत्यपाॅलजी को ललित कलाओं के संवर्द्धन के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित किया
था। इस अवसर पर कॉलेज के कल्चरल कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण मिश्रा के निर्देशन में संगीत
विभाग के विद्यार्थियों ने राजेश्वरी पॉल जी के पसंदीदा भजनों की भावात्मक प्रस्तुति करते हुए
उनको सुरमयी श्रद्धांजलि दी। डॉ ढींगरा एवं सभी प्राध्यापकवृंद ने राजेश्वरी पाल जी को श्रद्धा
सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।

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