
दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा किए गए हवाई हमलों के बाद पाकिस्तान के एक कथित परमाणु ठिकाने के क्षतिग्रस्त होने की खबरों ने पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। इस बीच सोशल मीडिया और गूगल पर “न्यूक्लियर रेडिएशन” जैसे शब्दों की खोज में जबरदस्त उछाल आया है। सबसे बड़ा सवाल अब ये है—अगर वाकई पाकिस्तान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक हुआ, तो क्या इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है? क्या सीमा पार परमाणु ज़हर भारत की हवा, पानी और मिट्टी को भी छू सकता है? चेरनोबिल और हिरोशिमा जैसी त्रासदियों के इतिहास को देखते हुए यह खतरा जितना अदृश्य है, उतना ही विनाशकारी भी। आइए समझते हैं, रेडिएशन लीक की सच्चाई और इससे भारत को कितना खतरा हो सकता है।परमाणु विकिरण यानी न्यूक्लियर रेडिएशन, एक ऐसा खतरनाक असर है जो ना दिखाई देता है, ना ही तुरंत समझ आता है, लेकिन इसके परिणाम विनाशकारी होते हैं। जब कोई परमाणु ठिकाना प्रभावित होता है, तो सबसे पहले शरीर में Acute Radiation Syndrome के लक्षण दिखाई देते हैं—जैसे उल्टी, त्वचा जलना, कमजोरी और गंभीर मामलों में कुछ ही घंटों में मौत। चेरनोबिल हादसा इसका सबसे भयानक उदाहरण है, जहां पहले ही सप्ताह में कई लोगों की जान चली गई थी।रेडिएशन का असर केवल मौके पर मौजूद लोगों तक सीमित नहीं रहता। यह हवा, मिट्टी और पानी के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी फैल सकता है। इसके प्रभाव से DNA क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे कैंसर, थायरॉइड समस्याएं, बांझपन और जन्मजात विकलांगताएं बढ़ जाती हैं। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में 1945 के परमाणु हमलों के बाद इसका असर आज भी वहां की अगली पीढ़ियों पर देखा जा रहा है।