मोगा/चंडीगढ़ () – श्री अकाल तख़्त साहिब की फसील से शिरोमणि अकाली दल के पुनर्गठन के लिए बनी भर्ती कमेटी के सदस्य सरदार मनप्रीत सिंह इयाली, जथेदार गुरप्रताप सिंह वडाला, जथेदार इकबाल सिंह झूंदां, जथेदार संता सिंह उमैदपुरी और बीबी सतवंत कौर की अगुवाई में मोगा में एक अहम मीटिंग आयोजित की गई, जो एक बड़ी सियासी कांफ्रेंस में तब्दील हो गई। इस मीटिंग को सफल बनाने में जहां ज़िले के समूचे अकाली जत्थे का योगदान रहा, वहीं स्वर्गीय जथेदार तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह बराड़, जगतार सिंह बराड़ (स्व. साधू सिंह राजेआणा के पुत्र), बलदेव सिंह माणूंके, हल्का इंचार्ज निहाल सिंह वाला, जिला जत्था प्रधान अमरजीत सिंह लंडेके और पूरी लीडरशिप की मेहनत उल्लेखनीय रही।
इस अवसर पर बोलते हुए सरदार मनप्रीत सिंह इयाली ने कनाडा में चुने गए 22 पंजाबी सांसदों को बधाई दी और मोगा की धरती से जुड़े पांच सांसदों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज पंजाबी दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश सिखों की नुमाइंदा और पंजाब की मां पार्टी (अकाली दल) अपनी लीडरशिप की गलतियों की वजह से कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थों में उलझी लीडरशिप की गलतियों का खामियाज़ा वर्करों और चुनावी उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा है। झूंदां कमेटी ने वर्करों की भावनाओं को लीडरशिप के सामने रिपोर्ट के रूप में रखा, परंतु लीडरशिप ने उसे एक विशेष व्यक्ति की राजनीति को बचाने के लिए नजरअंदाज़ कर दिया।
सरदार इयाली ने कहा कि आज पंथ और पंजाब की पकड़ कमजोर हो गई है, जिससे राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा है – पानी का मुद्दा, राजधानी और पंजाबी भाषी क्षेत्रों का नुकसान, ये सभी गंभीर मसले हैं लेकिन हमारी आवाज़ सुनी नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि बंदी सिखों की रिहाई के लिए 25 लाख दस्तखतों वाली फाइल को दिल्ली नहीं पहुंचाया गया और आख़िरी समय पर रिहाई के लिए प्रस्तावित दिल्ली मार्च को रद्द कर दिया गया, जिस पर आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
जथेदार गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि अब फैसला लेने का समय आ गया है। उन्होंने अपनी विदेश यात्रा का ज़िक्र करते हुए बताया कि इंग्लैंड जैसे देशों में बसे पंजाबी आज भी पंजाब की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंथ आज संकट में है लेकिन जिस तरह का समर्थन मिल रहा है, उससे स्पष्ट है कि पंथ और पंजाब के हितैषी लोग अकाल तख़्त साहिब से मुंह मोड़ चुके लोगों को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि समर्पित लीडरशिप का उभार निश्चित है और युवा पीढ़ी नेतृत्व के लिए तैयार है।
जथेदार इकबाल सिंह झूंदां ने कहा कि वह पद लेने नहीं, बल्कि पंथ और पंजाब की सेवा करने आए हैं। उन्होंने अतीत को सामने रखते हुए कहा कि पंथक और पंजाब समर्थक लोग आज चिंतित हैं क्योंकि शिरोमणि अकाली दल की जो लीडरशिप पंथ की अगुवाई करने वाली थी, वह अब गैर-पंथक हाथों में चली गई है। सत्ता और व्यक्तिगत हित उनके लिए प्रमुख बन गए हैं। उन्होंने कहा कि आज की गैर-जिम्मेदाराना लीडरशिप के चलते हमें आने वाली पीढ़ियों का भविष्य दुखद नजर आता है। हम त्याग, समर्पण और सेवा भावना से ओतप्रोत एक सशक्त लीडरशिप देने को तैयार हैं, जो न केवल पंथ और पंजाब का नेतृत्व कर सके बल्कि अकाली इतिहास से सीखते हुए उसके हितों की रक्षा कर सके।
जथेदार संता सिंह उमैदपुरी ने कहा कि पंथक जमात को आज सौ साल बाद पुनर्जीवन की ज़रूरत है क्योंकि पिछले 25 सालों से काबिज लीडरशिप निजी और पारिवारिक हितों पर केंद्रित हो गई है। एक परिवार और एक व्यक्ति के इशारे पर फैसले लिए जा रहे हैं। हमारी तीन प्रमुख संस्थाओं – श्री अकाल तख़्त साहिब, एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल की गरिमा दांव पर लगी है। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अकाल तख़्त से मुंह मोड़ने वाले कभी भी खुद को “अकाली” कहने के हक़दार नहीं हो सकते, ऐसे लोगों को अब “बादल दल” या “भगौड़ा दल” के नाम से जाना जाएगा।
बीबी सतवंत कौर ने अपने भावनात्मक भाषण में संगत की आंखों को नम कर दिया। उन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए पंथक शहादतों की मिसाल दी – खासकर जब सरहंद की अदालत में छोटे साहिबज़ादों की शहादत के समय कोई आवाज़ नहीं उठी और उस चुप्पी को सरहंद की सहमति माना गया। उन्होंने कहा कि आज भी अगर हम चुप रहे तो यही चुप्पी हमारी सज़ा बन सकती है। इसलिए अब जागने का समय है और श्री अकाल तख़्त साहिब से मुंह मोड़ चुकी लीडरशिप से पंथ का नेतृत्व अपने हाथों में लेने का वक्त आ गया है। उन्होंने युवाओं से खास तौर पर अपील की कि वे आगे आएं और नेतृत्व के लिए तैयार रहें।
इस मौके पर सरदार कर्नैल सिंह पीर मुहम्मद ने स्व. जथेदार तोता सिंह को याद करते हुए कहा कि ऐसे परिवारों को अब आगे आकर मोर्चा संभालने की जरूरत है।
सरदार बरजिंदर सिंह बराड़ ने संगत का धन्यवाद किया और अपने जोशीले मंच संचालन से वातावरण में उत्साह भर दिया।
मीटिंग में गुरजंत सिंह भुट्टो, बलदेव सिंह लंगेआणा, सुखविंदर सिंह, भगवान सिंह अटारी, दविंदर सिंह रणियां, काका बराड़, हर भुपिंदर सिंह लाडी, बलजीत सिंह जस, सोनी लोपो समेत बड़ी संख्या में एमसी, मौजूदा और पूर्व सरपंच व पंचों के अलावा मोगा जिले के चारों हलकों के वर्करों ने भाग लिया।