
अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सी.टी. यूनिवर्सिटी के एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में जापान की टेक्यो यूनिवर्सिटी का दौरा किया। इस यात्रा का उद्देश्य रिसर्च सहयोग और अकादमिक आदान-प्रदान के अवसरों का पता लगाना था।
इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डॉ. वीर विक्रम ने किया, उनके साथ उनके पीएचडी शोधार्थी रॉय भी शामिल थे। यह कदम क्रॉस-बॉर्डर शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक अहम पहल साबित हुआ।
इस दौरान डॉ. वीर विक्रम और रॉय ने टेक्यो यूनिवर्सिटी के सम्मानित प्रोफेसरों, जिनमें डॉ. अत्सुशी मियाशिता और यूनिवर्सिटी डायरेक्टर कोइची माकिमुरा शामिल थे, से विस्तृत चर्चाएं कीं। बातचीत में रिसर्च प्रोजेक्ट्स, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम और फैकल्टी डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
इन चर्चाओं ने दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों के लिए शैक्षणिक और रिसर्च अनुभव को समृद्ध करने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया।
यात्रा का खास आकर्षण टेक्यो यूनिवर्सिटी के मायकोलॉजी विभाग के साथ उनका संवाद रहा, जहां सिल्क वर्म पर नवाचारपूर्ण रिसर्च की जा रही है। टीम ने सिल्क वर्म के विकास के विभिन्न चरणों का गहन अध्ययन किया और रिसर्चर्स व छात्रों के साथ मिलकर संभावित सहयोगी प्रोजेक्ट्स और ज्ञान साझा करने के अवसरों का पता लगाया।
यह विचार-विमर्श एप्लाइड रिसर्च में नए रास्ते खोलेगा और मेडिकल मायकोलॉजी समेत कई वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित होगा।
टेक्यो यूनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल मायकोलॉजी (TIMM), जिसकी स्थापना 1983 में डॉ. शोइची ओकिनागा के नेतृत्व में हुई थी, इस क्षेत्र में विश्व स्तर पर अग्रणी माना जाता है। यह संस्थान फंगल इन्फेक्शन्स के निदान और उपचार के नए तरीकों, एंटीफंगल दवाओं के प्रतिरोध पर रिसर्च और दुर्लभ रोगजनक फंगी को संरक्षित करने जैसे कार्यों में अग्रणी रहा है।
ये प्रयास मायकोसिस से संबंधित फाइलोजनी, एपिडेमियोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और कीमोथेरेपी पर चल रहे अध्ययनों को भी सशक्त बनाते हैं और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
सी.टी. यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. मनबीर सिंह ने कहा, “ऐसी साझेदारियां हमारे छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर खोलेंगी, जिससे उनका वैश्विक दृष्टिकोण और शैक्षणिक अनुभव समृद्ध होगा।”
वहीं, वाइस चांसलर डॉ. नितिन टंडन ने कहा, “यह सहयोग सी.टी. यूनिवर्सिटी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो ज्ञान साझा करने और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मदद करेगा।”
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