
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान मनप्रीत से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज ने दिव्य हवन यज्ञ में उपस्थित मां भक्तों को प्रवचनों से निहाल करते हुए कहा कि जब हम सच्चे मन से समर्पण करते हैं, तो ईश्वर हमें एक ऐसी ढाल से घेर लेते हैं जिसे कोई भी ताकत नहीं तोड़ सकती। विश्वास हमेशा दृष्टि से नहीं होता; यह अदृश्य पर भरोसे से होता है, इस अटूट विश्वास से कि ईश्वर हमारे साथ चलते हैं, हमारे सबसे अंधकारमय समय में भी। ऐसे समय में भी जब हम उन्हें देख नहीं पाते, ईश्वर हमेशा कार्यरत रहते हैं—हमारे दर्द में सुरक्षा और हमारी प्रतीक्षा में उद्देश्य बुनते हुए। उनके मार्ग अक्सर कोमल, फिर भी शक्तिशाली होते हैं। छिपे हुए, फिर भी अचूक। इसलिए जब रास्ता अंधकारमय हो और बोझ भारी हो, तो याद रखें; जो तारों को थामे हुए है, वही आपको भी थामे हुए है। जो चींटियों और हाथियों को खाना खिलाता है, वह भी आपकी देखभाल कर रहा है।
हमारे सबसे निराशाजनक क्षणों में, जब बाकी सब कुछ विफल हो जाता है, हम पाते हैं कि ईश्वर हमारे समर्पण की गहराई को समझते हैं। नवजीत भारद्वाज जी ने एक प्रेरक कहानी सुनाते है कि एक बार, एक भीषण युद्ध की अराजकता के बीच, एक पराजित सेना चारों दिशाओं में बिखर गई। एक थका हुआ सैनिक, धडक़ते दिल और काँपते पैरों के साथ, अपनी जान बचाने के लिए भागा। दुश्मनों द्वारा पीछा किए जाने पर, वह एक गुफा में जा पहुँचा और अंदर भागा। हताश होकर उसने फुसफुसाते हुए कहा, भगवन-आज आप ही मेरे शरणस्थल हैं। यदि आपकी कृपा हो, तो मेरी रक्षा कीजिए।
जैसे ही उसने प्रार्थना की, एक मकड़ी ने गुफा के मुहाने पर जाला बुनना शुरू कर दिया। सिपाही ने घबराहट में देखा। क्या यह कोई करूर मजाक है? उसने सोचा। मैंने सुरक्षा के लिए प्रार्थना की, और मुझे बस एक मकड़ी मिली। लेकिन मकड़ी बुनती रही। कुछ ही मिनटों में, प्रवेश द्वार नाज़ुक धागों से ढक गया।
कुछ ही देर बाद, दुश्मन सैनिक गुफा तक पहुँच गए। अंदर छिपे एक सैनिक ने साँस रोक ली और बाहर ही खड़ा रहा। एक ने पूछा, क्या हमें अंदर जाँच करनी चाहिए? दूसरे ने उपहास किया, नामुमकिन-उस मकड़ी के जाले को देखो। उसे फाड़े बिना कोई अंदर नहीं जा सकता था।
और बस ऐसे ही, वे वहां से चले गये।
सैनिक कृतज्ञता से अभिभूत होकर घुटनों के बल गिर पड़ा। उसने रोते हुए कहा, भगवन-आज मुझे समझ आया—जब आप मेरे साथ होते हैं, तो मकड़ी का जाला भी लोहे की सलाखों से ज्यादा मजबूत हो जाता है। और जब आपकी कृपा नहीं होती, तो लोहे की सलाखें मकड़ी के जाले से भी कमजोर हो जाती हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने प्रवचनों को विराम लगाते हुए अंत में कहा कि हार्दिक समर्पण खतरे की लहर को ईश्वरीय आश्रय में बदल देता है।
*नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि 23 अगस्त दिन शनिवार को शनि अमावस्या के शुभ अवसर पर विशाल अलौकिक हवन यज्ञ का आयोजन शाम 7:00 से मंदिर परिसर में किया जाएगा।*
इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा, प्रदीप , दिनेश सेठ,सौरभ भाटिया,विवेक अग्रवाल, जानू थापर,दिनेश चौधरी,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी, कमलजीत,बलजिंदर सिंह,बावा खन्ना, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत,मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, परमजीत सिंह, दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला,जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।