जालन्धर :दिव्य ज्योति जागृति संस्थान  द्वारा संचालित स्वास्थ्य संबंधी चलाए जा रहे आरोग्य प्रकल्प के अंतर्गत आर्मी कैंप, सुरानस्सी, जालंधर में “मनोबलम – स्वस्थ मन, सफल जीवन” विषय पर एक प्रेरणादायी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर जी ने सेना के अधिकारियों, जवानों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों को संबोधित करते हुए पॉजिटिव माइंड अर्थात सकारात्मक सोच के महत्व पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया।

डॉ. सर्वेश्वर जी ने कहा कि “मानव जीवन की सफलता का आधार केवल शारीरिक सामर्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण भी है।” उन्होंने वैज्ञानिक शोधों एवं नवीनतम आंकड़ों के माध्यम से बताया कि सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति न केवल तनावमुक्त जीवन जीते हैं, बल्कि उनके निर्णय लेने की क्षमता, कार्यकुशलता और शारीरिक स्वास्थ्य में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।

उन्होंने अनेक प्रेरणादायी उदाहरणों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि जब मन मजबूत होता है, तब परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हों, व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुँच ही जाता है। डॉ. सर्वेश्वर जी ने कहा कि “सेना के जवानों का जीवन अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है, परंतु निरंतर मानसिक स्फूर्ति के लिए आत्मिक शक्ति का विकास आवश्यक है, जो सकारात्मक मनोवृत्ति से ही संभव है।”

उदाहरण 1 एक सैनिक, जो सीमा पर तैनात था, कठोर मौसम और सीमित संसाधनों के बावजूद सदैव प्रसन्न और आत्मविश्वासी रहता था। जब उससे पूछा गया कि इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वह कैसे मुस्कुराता रहता है, तो उसने कहा — “मैं परिस्थितियों को नहीं चुन सकता, पर अपना दृष्टिकोण ज़रूर चुन सकता हूँ।” यही सकारात्मक सोच उसे न केवल मानसिक रूप से मजबूत बनाती थी, बल्कि पूरी टुकड़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।

उदाहरण 2 थॉमस एडीसन ने जब बल्ब का आविष्कार किया, तो उन्होंने लगभग 1000 बार असफल प्रयोग किए। किसी ने पूछा, “आपको इतने असफल प्रयासों से हताशा नहीं हुई?” एडीसन ने मुस्कुराते हुए कहा — “मैं असफल नहीं हुआ, मैंने केवल 1000 ऐसे तरीके खोजे हैं जो काम नहीं करते।” यही पॉज़िटिव माइंडसेट अंततः सफलता की कुंजी बना।

यदि हम स्थाई रूप से सकारात्मक दृष्टिकोण, उस ईश्वर दर्शन के आनंद को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें ब्रह्म ज्ञान आधारित ध्यान करना होगा। जिससे हम हम अपने मन के गुलाम नहीं मालिक बन कर जीयेंगे।

कार्यशाला के अंत में उपस्थित जवानों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह सत्र उन्हें मानसिक रूप से सशक्त करने वाला रहा। जालंधर शाखा प्रमुख साध्वी पल्लवी भारती जी ने कहा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा चलाया जा रहा आरोग्य प्रकल्प इसी उद्देश्य को लेकर देशभर में जनमानस को स्वस्थ तन और स्वस्थ मन की दिशा में प्रेरित कर रहा है।
अंत में स्वामी सज्जनानंद जी ने सभी अधिकारियों, जवानों एवं इस कार्यशाला के आयोजकों का साधुवाद किया।

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