दिल्ली: दुनियाभर में 6G नेटवर्क टेक्नोलॉजी की चर्चा जोरों पर है, और भारत भी इस रेस में पीछे नहीं है। मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा, जो 2030 तक 6G नेटवर्क लॉन्च करेंगे। इसके लिए टेस्ट बेड भी तैयार हो चुका है। भारत में 4G सर्विस 2014 में शुरू हुई थी, जिसके बाद 4.5G और 5G ने भी अपनी जगह बनाई। अब 5.5G या 5G-एडवांस (5G-A) के लॉन्च की तैयारी चल रही है। आइए, जानते हैं कि 4G, 4.5G, 5G और 5.5G में क्या अंतर है और टेलीकॉम नेटवर्क की नंबरिंग प्रक्रिया कैसे काम करती है।4G, 4.5G, 5G और 5.5G: एक नजर में अंतर 4G, 4.5G, 5G और 5.5G वायरलेस नेटवर्क की अलग-अलग पीढ़ियां (जेनरेशन) हैं, जहां ‘G’ का मतलब जेनरेशन है। प्रत्येक नई पीढ़ी के साथ इंटरनेट स्पीड, कनेक्टिविटी और डेटा ट्रांसफर की क्षमता में सुधार होता है।

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