सी.टी. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस का परिसर आध्यात्मिक प्रकाश से तब जगमगा उठा, जब सी.टी. परिवार ने मिलकर ‘बंदी छोड़ दिवस’ मनाया। बंदी छोड़ दिवस वह पावन दिन जब सिखों के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने स्वयं के साथ 52 हिंदू राजाओं को ग्वालियर किले से मुक्त करवाया था। यह ऐतिहासिक दिवस साहस, करुणा और न्याय का अमर प्रतीक है।
इस पावन अवसर पर सी.टी. ग्रुप शाहपुर की ओर से एक भव्य दीपमाला का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्रबंधन ने मिलकर हजारों दीप प्रज्वलित किए। दीपों की लौ ने परिसर को आलोकित कर दिया, जो इस पर्व के सार — अंधकार से प्रकाश की ओर, बंधन से मुक्ति की ओर, और निराशा से आशा की ओर — का प्रतीक बनी।
सी.टी. ग्रुप के वाइस चेयरमैन श्री हरप्रीत सिंह ने इस अवसर पर अपने प्रेरणादायक विचार साझा करते हुए कहा— “बंदी छोड़ दिवस केवल मुक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि यह संदेश है कि सच्चा प्रकाश करुणा में और धर्म की रक्षा में है। आज जो भी दीप हमने जलाया, वह आशा, स्वतंत्रता और अच्छाई की विजय का प्रतीक है।”
इस अवसर पर डॉ. नितिन टंडन (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर) और डॉ. शिव कुमार (कैंपस डायरेक्टर) सहित शिक्षकों व विद्यार्थियों ने मिलकर पूरे परिसर को भक्ति और आनंद से आलोकित किया। सब की सामूहिक सहभागिता ने इस शाम को शांत, पवित्र और प्रेरणादायक बना दिया।
सी.टी. ग्रुप सिख सिद्धांत ‘सरबत दा भला’ (सबका भला) की भावना को निरंतर आगे बढ़ा रहा है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से संस्था विद्यार्थियों में मानवता, एकता और सेवा की भावना को बढ़ा रही है, ताकि वे जीवन में प्रकाश का मार्ग अपनाकर समाज की भलाई कर सकें।
जैसे-जैसे दीपों की ज्योति ने आकाश को आलोकित किया, बंदी छोड़ दिवस का यह आयोजन स्वतंत्रता, शांति और आध्यात्मिकता को समर्पित एक हृदयस्पर्शी श्रद्धांजलि बन गया — जिसने सभी को अपने जीवन और संसार में भलाई का प्रकाश फैलाने की प्रेरणा दी।