
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लम्मा पिंड चौंक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान संदीप शर्मा से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को प्रवचनों की ज्ञान रूपी वर्षा करते हुए कहा कि आध्यात्मिक सत्य है कि एकाग्रचित मन ही प्रभु तक पहुँचने का मार्ग है। पर चित्त तब तक एकाग्र नहीं होगा, जब तक शरीर की एकाग्रता सिद्ध न हो। हम किसी भी काम में एक्सपर्ट होना चाहते हैं तो हमें अपनी एकाग्रता बढ़ानी होगी। एकाग्रता के साथ किए गए हर काम में सफलता मिलने संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने आध्यात्मिक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए मां भक्तों को कहा कि एक बार महात्मा बुद्ध परम गहरी शांति का अनुभव लेकर भिक्षुकों को कुछ सुना रहे थे। सुनाते-सुनाते बुद्ध एकाएक चुप हो गये, मौन हो गये। सभा विसर्जित हो गई। किसी की हिम्मत न हुई तथागत से कारण पूछने की।
समय बीतने पर कोई ऐसा अवसर आया तब भिक्षुओं ने आदरसहित प्रार्थना करते हुए कहा कि उस दिन आप गंभीर विषय बोलते-बोलते अचानक चुप हो गये थे, क्या कारण था? महात्मा बुद्ध ने कहा, सुनने वाला कोई न था, इसलिए मैं चुप हो गया था।
भिक्षुकों ने कहा, नहीं महात्मा जी हम तो थे वहां पर।
महात्मा बुद्ध ने कहा कि नहीं… किसी का सिर हिल रहा था तो किसी का घुटना। तुम वहाँ न थे। आध्यात्मिक ज्ञान के लिए, चित्त तब तक एकाग्र नहीं होगा, जब तक शरीर की एकाग्रता सिद्ध न हो।
महात्मा बुद्ध के इस ज्ञान भरी बात को नवजीत भारद्वाज जी ने मां भक्तों को सरलता से समझाते है कि कई लोग आध्यात्मिक कार्यों में शरीर को हिलाते रहते हैं, वे ध्यान के अधिकारी नहीं होते, योग के अधिकारी नहीं होते। मन को एकाग्र करने के लिए तन भी संयत होना चाहिए। तन और मन की एकाग्रता से व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों पर नियंत्रण पाना सीखता है। यह आध्यात्मिक प्रगति और अंतत: प्रभु तक पहुंचने के लिए आवश्यक है। भक्ति में तन और मन की एकाग्रता बनाए रखने से भगवान की कृपा जल्दी मिलती है। इतिहास गवाह है कि जो-जो लोग भी खूब सफल हुए हैं, वे अपने कार्य के प्रति एकाग्र चित्त रहे हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने एकाग्र तन और मन के व्यक्ति कैसे होते है एक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक फकीर था। उसके पैरों में कटीले कांटें घुस गए। इससे उसे बड़ी पीड़ा हो रही थी। जब भी लोग फकीर के कांटें खींचने की कोशिश करते, तो हाथ लगाते ही पीड़ा और बढ़ जाती थी। इसी कारण से कांटों को खींचा भी नहीं जा सकता था। उस समय क्लोरोफॉर्म जैसी बेहोश करने वाली दवा भी नहीं थी। बड़ी समस्या खड़ी हो गई। पर जो लोग उस फकीर को जानते थे बोले, ‘कांटें अभी मत निकालो। फकीर जब नमाज पढ़ने बैठेगा तब निकाल लेंगे।’
शाम को फकीर नमाज पढ़ने लगा। पल भर में ही उसका मन और तन इतना एकाग्र हो गया कि उस दौरान जब उसके पैरों से कांटें निकाल दिये गए तो उसे पता भी नहीं लगा। कैसी जबरदस्त है यह एकाग्रता! सार यही है कि तन और मन की एकाग्रता के बिना आप किसी काम में सफल नहीं हो सकते।
इस अवसर पर अजीत कुमार, राकेश प्रभाकर,पूनम प्रभाकर ,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा,प्रदीप , दिनेश सेठ,सौरभ भाटिया,विवेक अग्रवाल, जानू थापर,दिनेश चौधरी,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी,बलजिंदर सिंह, नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत , डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप,दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।