आपदा एजेंसियोऔर सुरक्षा बलों की मदद के लिए आर आईएसएटी-2बी का सफल प्रक्षेपण
चेन्नई, 22 मई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को रडार इमेजिंग उपग्रह आरआईएसएटी-2बी का सफल प्रक्षेपण कर नया इतिहास रच दिया।
पृथ्वी की निगरानी करने वाले इस उपग्रह का प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी46 के जरिये यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से तड़के 05:30 बजे प्रक्षेपण किया गया। प्रक्षेपण के 15 मिनट 25 सेकंड के बाद 615 किलोग्राम वजनी आरआईएसएटी-2बी को भूमध्यरेखा से 37 डिग्री के झुकाव के साथ 556 किलोमीटर की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। प्रक्षेपण की 25 घंटों की उलटी गिनती श्रीहरिकोटा में मंगलवार तड़के 04:30 बजे शुरू हो गयी थी।
आरअाईएसएटी-2बी के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने कहा, “मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि पीएसएलवी-सी46 ने आरआईएसएटी-2बी को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। आरआईएसएटी-2बी को भूमध्यरेखा से 37 डिग्री के झुकाव के साथ 556 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।”
आरआईएसएटी-2बी इसरो के आरआईएसएटी कार्यक्रम का चौथा चरण है और इसका इस्तेमाल रणनीतिक निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए किया जाएगा। यह उपग्रह एक सक्रिय एसएआर (सिंथेटिक अर्पचर रडार) इमेजर से लैस है जो पृथ्वी की निगरानी की क्षमता बढ़ाता है।
उपग्रह का ‘रेगुलर’ रिमोट-सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग उपग्रह बादल छाये रहने या अंधेरे में पृथ्वी पर छिपे वस्तुओं का पता नहीं लगा पाता है जबकि एक सक्रिय सेंसर ‘एसएआर’ से लैस यह उपग्रह दिन हो या रात, बारिश या बादल छाये रहने के दौरान भी अंतरिक्ष से एक विशेष तरीके से पृथ्वी की निगरानी कर सकता है। सभी मौसम में काम करने की यह विशेषता इसे सुरक्षा बलों और आपदा राहत एजेंसियों के लिये मददगार बनाती है। यह उपग्रह कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।
अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी क्षमता को और विकसित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी निकट भविष्य में कम से कम छह और ऐसे उपग्रहों का प्रक्षेपण करने की योजना बना रही है।