नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और एयरसेल की ओर से स्पेक्ट्रम बेचे जाने को लेकर सरकार से सवाल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए सरकार से पूछा है कि आखिर आपका इन कंपनियों पर 43,000 करोड़ रुपये के एजीआर बकाये को वसूलने का क्या प्लान है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि ये कंपनियां अपनी पूरी संपत्तियां बेच देती हैं तो फिर आप बकाये की वसूली कैसे कर पाएंगे। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई इन टिप्पणियों के बाद रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और एयरसेल के रिजॉलूशन प्लान में बदलाव देखने को मिल सकता है। बता दें कि इन्सॉल्वेंसी कोर्ट की ओर से पहले ही एयरसेल की संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी जा चुकी है, लेकिन अब तक आरकॉम को लेकर फैसला नहीं हुआ है।

जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि आखिर सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से न्याय के लिए तेजी क्यों नहीं दिखा रही है। आखिर मामला कहां अटका हुआ है। बेंच में शामिल जस्टिस एम.आर. शाह ने कहा, ‘यदि आप तेजी से अपील नहीं करेंगे तो फिर स्पेक्ट्रम की बिक्री को कैसे रोक पाएंगे।’ जस्टिस शाह ने कहा कि यदि इस दौरान स्पेक्ट्रम की बिक्री हो जाती है तो फिर आप क्या करेंगे। दरअसल मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल और नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल की ओर से एसेट्स को बेचने की मंजूरी के लिए खिलाफ अपील दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई का इंतजार है। मेहता के इस तर्क पर ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आप न्याय के लिए तेजी नहीं दिखाएंगे तो स्पेक्ट्रम की सेल कैसे रोक पाएंगे।

अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम और एयरलेस ने कहा कि स्पेक्ट्रम की उनकी मुख्य एसेट है और वे यदि इन्हें नहीं बेचती हैं तो फिर मोनेटाइजेशन का प्लान फेल हो जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने इसके खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि स्पेक्ट्रम राष्ट्रीय संपत्ति है और इसे बेचा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि पब्लिक की ट्रस्टी होने के नाते यह सरकार के दायरे में है।

मेहता ने कहा कि एयरसेल के मामले में रिजॉलूशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी आरकॉम को लेकर फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि रिलायंस पर एजीआर बकाया कुल 31,000 करोड़ रुपये है, इसमें लाइसेंस चार्ज, स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का चार्ज भी शामिल है। पिछले दिनों टेलिकॉम विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे के मुताबिक आरकॉम पर सरकार का 25,194.58 करोड़ रुपये बकाया था, जो अब बढ़ गया है।

रिलायंस कॉम्युनिकेशंस ने 2019 में खुद को दिवालिया घोषित करते हुए काम बंद कर दिया था और इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैकरप्सी कोड के तहत दिवाला प्रक्रिया के लिए आवेदन किया था। इस कंपनी को 200 में धीरूभाई अंबानी के प्रयासों के तहत ही शुरू किया गया था, जो मुकेश अंबानी से बंटवारे के बाद अनिल अंबानी को मिली थी। हालांकि वह इस कंपनी को चला नहीं सके और खासतौर पर 4जी तकनीक के आने के बाद आरकॉम पूरी तरह से पटरी से उतर गई।

हाल ही में यस बैंक ने अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के मुख्यालय रिलायंस सेंटर पर कब्जा जमा लिया था। बैंक ने 2,892 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने पर यह कार्रवाई की है। 21,432.28 स्कवेयर मीटर के इस प्लॉट पर कब्जे के अलावा बैंक ने मुंबई के वीर नरीमन रोड पर स्थित एक और संपत्ति को अपने नियंत्रण में लिया है। यस बैंक का अनिल अंबानी के समूह पर कुल 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है।

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