
एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर में उस्ताद जाकिर हुसैन द्वारा मात्र 9 वर्ष की उम्र में ‘प्रिंसेस आफ तबला’ के सम्मान से सम्मानित मैडम रिंपा शिवा के अद्भुत तबला वादन ने कॉलेज की प्रांगण को सुरों से सराबोर कर दिया। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने मैडम रिंपा शिवा का अभिनंदन करते हुए कहा कि हमारे कॉलेज में स्वर्ण जयंती के अवसर पर श्रेष्ठ कलाकारों को आमंत्रित कर अपने संस्थापक अध्यक्ष डॉ सत्यपाॅल जी द्वारा चलाई गई मुहिम को तन्मयता से आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एपीजे एजुकेशन,एपीजे सत्या एंड स्वर्ण ग्रुप एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी की चांसलर श्रीमती सुषमा पाल बर्लिया की मार्गदर्शन में कॉलेज हमेशा संगीत एवं अन्य ललित कलाओं के विकास में अपना योगदान देने के लिए हमेशा अग्रणी रहा है। मैडम रिंपा शिवा को उनके पिता प्रोफेसर स्वप्न शिवा ने फर्रुखाबाद घराने की शैली में बजाना सिखाया।उनकी तबले पर उंगलियों का जादू देखकर 9 वर्ष की उम्र में उस्ताद जाकिर हुसैन ने उन्हें प्रिंसेस ऑफ तबला की उपाधि से सम्मानित किया। मैडम रिंपा शिवा भारतीय शास्त्रीय संगीत में उन कुछ एक गिनी चुनी महिला तबला वादकों में गिनी जाती है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। मैडम रिंपा शिवा तबले पर अचंभित कर देने वाली तकनीक,गहन रिद्धम की विशेषज्ञ एवं इंडियन क्लासिकल प्रकशन में सर्जनात्मकता के रंग भरने के लिए प्रसिद्ध है। राष्ट्रपति सम्मान, कर्नाटक गवर्नमेंट द्वारा बसवराज गुरु अवार्ड,गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के कल्चर मंत्रालय द्वारा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड एवं शमुखा संगीत शिरोमणी अवॉर्ड से सम्मानित मैडम रिंपा शिवा ने जब तबले पर तीन ताल की प्रस्तुति,अपने दादा गुरु करामातुल्लाह खान की चतुरंग गत एवं कंपोजीशन, तीन ताल में लखनऊ घराने की कंपोजीशन, तीन ताल में पखावज अंग की कंपोजीशन,अपने पिता पंडित स्वप्न शिवा की कंपोजीशन एवं जब तबले पर ही बारिश की बूंदों की मधुर आवाज सुनाई तो पूरा सभागार तालियों की गूंज से भर उठा। डॉ ढींगरा ने इस संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए कॉलेज के कल्चरल कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण मिश्रा एवं यूथ वेलफेयर डीन एवं कार्यक्रम प्रभारी डॉ अमिता मिश्रा, डॉ अनुपम सूद के प्रयासों की भरपूर सराहना करते हुए कहा कि वह भविष्य में भी इसी तरह श्रेष्ठ कलाकारों को आमंत्रित कर कॉलेज के माहौल को सुरमय बनाने में अपना योगदान देते रहे। डॉ सुमित ने श्रेष्ठ मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।