ई कॉमर्स कंपनियां (P C : Pixabay)

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश के 10 से अधिक राज्यों में लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसी स्थिति है। ऐसे में उन राज्य सरकारों की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ जरूरी चीजें ही डिलिवर करने की इजाजत दी गई है। इस कारण उन लोगों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है, जिन्हें उन चीजों की सख्त जरूरत है, जो राज्य द्वारा निर्धारित जरूरी सामानों की सूची में नहीं आतीं।खासतौर पर वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने की सुविधा के इस दौर में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, की-बोर्ड व माउस समेत ऐसी दर्जनों चीजें लोगों के लिए बेहद जरूरी हो गई हैं, जो विभिन्न राज्य सरकारों के लिए ‘जरूरी’ सामानों की सूची से बाहर हैं।केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक, फिलहाल की स्थिति में जरूरी और गैर-जरूरी चीजों की सूची तैयार करने का अधिकार राज्यों के पास है। राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से यह सूची तैयार कर सकती है। इन दिनों महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक जैसे राज्यों में लॉकडाउन है, तो उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में आंशिक रूप से या सप्ताह के आखिर में लॉकडाउन लगाए जा रहे हैंराज्यों की तरफ से लॉकडाउन लगाने के दौरान यह कहा जाता है कि सिर्फ जरूरी चीजों की आपूर्ति जारी रहेगी और ई-कॉमर्स कंपनियां भी सिर्फ उन्हीं चीजों की सप्लाई करेंगी। हालांकि, उद्योग जगत ने केंद्र से जरूरी और गैर-जरूरी चीजों की सूची जारी करने की गुजारिश भी की है। फिलहाल जरूरी और गैर-जरूरी चीजों के वर्गीकरण का अधिकार पूरी तरह से राज्यों के पास है।ई-कॉमर्स कंपनियों के मुताबिक, सभी राज्यों ने अलग-अलग वर्गीकरण कर रखा है। जिन राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति है, वहां सिर्फ जरूरी वस्तुओं की डिलिवरी की इजाजत है। हालांकि, कर्नाटक में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ ऑफलाइन दुकानदार भी घरों में सभी वस्तुओं की डिलिवरी कर सकते हैं। अन्य राज्यों में ऑफलाइन कारोबारियों की दलील है कि अगर ई-कॉमर्स कंपनियों को गैर-जरूरी वस्तुओं की डिलिवरी की इजाजत मिलती है तो उन्हें भी ऐसी इजाजत मिलनी चाहिए।

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