:भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर के व पोस्टग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़ बॉटनी के
छात्राओं द्वारा  सेंट्रल पोटैटो रिसर्च स्टेशन, जालंधर का दौरा आयोजित किया गया. इस विज़िट का मुख्य उद्देश्य
छात्राओं को आई.सी.ए.आर के विभिन्न क्षेत्रों में नई खोजों, प्रोटोटाइप विकास और विविध क्षेत्रों को शुरू करने के अलावा
आलू शोध के विशाल क्षेत्र पर मार्गदर्शन प्रदान करना था ताकि विद्यार्थियों के लिए रिसर्च और सीखने के नए अवसर खुल
सकें. इस दौरे के दौरान श्री योगेश गुप्ता, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने छात्राओं को सी.पी.आर.एस. से परिचित
कराया और आलू शोध एवं प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों की संक्षिप्त जानकारी भी सांझा की. उन्होंने
छात्राओं को आलू क्षेत्र में उद्यमिता में हाथ आज़माने और आलू उत्पादों के कमर्शियलाइज़ेशन के महत्व के लिए प्रेरित
किया. इसके साथ ही डॉ. अरविंद जायसवाल, वैज्ञानिक, फूड टेक्नोलॉजिस्ट, सी.पी.आर.एस. ने छात्राओं के साथ बातचीत
के दौरान, उन्हें आलू उत्पादों के प्रोटोटाइप के विकास, उनके पेटेंट और व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी में बदलाव के
बारे में बताते हुए आलू से तैयार विभिन्न नवीन उत्पादों को भी प्रदर्शित किया और उनके स्वास्थ्य लाभों पर भी विस्तार
से चर्चा की. आलू के उत्पाद ग्लूटेन मुक्त आहार का एक अच्छा उदाहरण हैं. आलू को फ्राई या चिप्स के रूप में तो सभी
खाते हैं, लेकिन डॉ. अरविंद ने आलू से नए उत्पाद विकसित किए जैसे:- आलू कुकीज़, एंथोसायनिन से भरपूर आलू
दलिया, आलू-रागी और मकई केक, आलू जलेबी, गुलाब जामुन, आइसक्रीम और मफिन। इसके अलावा, डॉ. सुगनी देवी,
वैज्ञानिक, सी.पी.आर.एस. ने छात्राओं को हाई-टेक आलू बीज उत्पादन जैसे:- एरोपोनिक्स, मिनीट्यूबर, मिट्टी रहित
संस्कृति और नेट हाउस के तहत बीज उत्पादन के बारे में बताया गया. इसके अलावा, डॉ. रत्ना प्रीत कौर, वैज्ञानिक,
सी.पी.आर.एस. ने छात्रओं को पौधों के प्रजनन प्रक्रिया के बारे में बताया और पीटीसी द्वारा आलू की विभिन्न किस्मों के
विकास, खेती और वृद्धि के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि आलू के बीज की पहली प्रति क्रायोप्रिजर्वेशन के
माध्यम से सीपीआरआई, शिमला में रखी जाती है और आलू के बीज की दूसरी प्रति सीपीआरएस, जालंधर में रखी जाती
है. अंत में फील्ड विज़िट का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. सुगनी देवी ने छात्राओं को एरोपोनिक्स, हाइड्रोपोनिक्स
और ट्रे कल्टीवेशन की प्रक्रिया दिखाई. प्राचार्या प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने छात्राओं के सर्वपक्षीय विकास के लिए इस
तरह के दौरे के आयोजन के लिए बॉटनी विज्ञान विभाग के संकाय के प्रयासों की सराहना की.

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।